× SanatanShakti.in About Us Home Founder Religion Education Health Contact Us Privacy Policy
indianStates.in

सूर्य माहात्म्य - दसवाँ अध्याय बारह मास

Surya Mahatmya - Tenth Chapter Twelve months

सूर्यदेव * अचला सप्तमी * सूर्य षष्ठी - छठ पूजा * आदित्य हृदय स्तोत्र * सूर्य गायत्री मंत्र * सूर्य स्त्रोत इक्कीस नाम * महीने के अनुसार सूर्य की उपासना * सोलह कलाओं पर सूर्य के नाम * सूर्य के 31 नाम * द्वादश आदित्य * सूर्य ध्यान स्तुति एवं जप * सूर्य माहात्म्य - प्रथम अध्याय वन्ध्या स्त्री वर्णन * सूर्य माहात्म्य - दूसरा अध्याय कुष्ठ निवारण * सूर्य माहात्म्य - तीसरा अध्याय अंधे को दृष्टि मिलना * सूर्य माहात्म्य - चौथा अध्याय मनोवांछित फल मिलना * सूर्य माहात्म्य - पंचम अध्याय नारद का नग्न युवती देख मोहित होना * सूर्य माहात्म्य - षष्ठ अध्याय सूर्य माहात्म्य वर्णन * सूर्य माहात्म्य - सप्तम अध्याय सूर्य के पूर्व दिशा में उदय होने का वर्णन * सूर्य माहात्म्य - अष्टम अध्याय नारद का वर्णन * सूर्य माहात्म्य - नौवां अध्याय सूर्य माहात्म्य में कलि का वर्णन * सूर्य माहात्म्य - दसवाँ अध्याय बारह मास * सूर्य माहात्म्य - ग्यारहवाँ अध्याय व्रत विधान * सूर्य माहात्म्य - बारहवाँ अध्याय उमामहेश्वर संवाद
 
अचला सप्तमी रथ सप्तमी सूर्यरथ सप्तमी आरोग्य सप्तमी सौर सप्तमी अर्क सप्तमीऔर भानुसप्तमी
 
आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

सूर्य माहात्म्य - दसवाँ अध्याय बारह मास

श्रीमहापुराण सूर्य माहात्म्य की रचन गोस्वामी तुलसी दास जी ने की है। इसमें कुल बारह अध्याय हैं।

दसवाँ अध्याय बारह मास

चौपाई

बोली तबहिं उमा हरषाई ।
दया करहु कछु कहीं गुसाई॥

जेहि सेवा करि नर सुख पावें ।
जाहिं भजे शुभ गति नर पावैं ॥

रवि महिमा अति अगम अपारा।
कहिये नाथ कथा विस्तारा॥

जासो भक्ति मिले सवधानी ।
कथा प्रसङ्ग सब कहहु बखानी॥

अति उत्तम जस रहि अवगाहा ।
सो प्रभु वरणौं सहित उछाहा॥

कस स्वरूप किमि रूपहिं करहीं ।
किमि सीतल किमि तेजहिं धरहीं ॥

कहि प्रतिमानस उदय गोसाई ।
किमि व्रत किरन मोक्ष हिं पाई॥

सोइ सत्य सब कहौं विचारी।
जेहि सुनि होइ ज्ञान अधिकारी॥

अस कहि शिवपद बंदन कीन्हा ।
हरषि शम्भु हरि सुमिरन कीन्हा ॥

दोहा

धन्य-धन्य गिरिजा सुनहु, पूछे उजग हित लाग।
रवि चरित्र पावन परम, सुनहु सहित अनुराग।।

चौपाई

रत्रि मंडप कर सुन विस्तारा ।
जेहि विधि सब स्थूल अपारा॥

द्वादस सहस जोजन चहुँ फेरा।
रवि मंडल जानहुँ शुभ डेरा॥

अति उत्तम जग तेज अपारा।
गये समीप न होय उबारा ॥

दश सहस्र रवि नयन गनाये ।
अति विशाल कहि देवन गाये॥

उदय होत त्रिभुवन तम भागे ।
तासन यह नित नित वर माँगे ॥

पारब्रह्म साखी सहिं जाने।
सुमिरत हिये ध्यान उर आने ॥

उदय होत विधि रूपहि जानो ।
मध्य विष्णु को रूप बरखानो ॥

सन्ध्या रूप रुद्र गति केरी ।
तीन काल तब मूरत टेरी॥

यह अनुमान सदा पद बंदिये ।
निश्चै करि विश्वास अनंदिये॥

पावहिं गति ते नर बड़भागी।
जाके कमल चरण लव लागी॥

दोहा

यहि विधि जाने उ है उमा, रवि पूजा जेहि हेतु ।
सिद्ध तासु मनकामना चारि पदारथ देतु ॥

चौपाई

और सुनहु प्रभु की प्रभुताई।
सूर्य-कथा सब देवन गाई॥

द्वादस तन धरि वेद बखाने ।
द्वादश कथा उद्योत विधाने ॥

द्वादस मास के द्वादस नाना ।
उदय करै रवि जग सुख धामा॥

माघ मास नासन महँ नीका।
कह श्रुति सब पासन महँ टीका॥

नजर उदय कहि वरुन समाना ।
भक्तो ज्ञान ध्यान करजामा॥

चैत मीन रवि उदय कराहीं।
नामदेव जग जाने ताहीं॥

मास हिं मेष भानु तप होई।
उच्च नाम रवि करि हैं सोई ॥

दोहा

इन्द्रनाम व्रत जेष्ठ तप, सब प्रकार सुख देहिं ।
रवि असाढ़ तपकर मिथुन, जासु नाम जपलेहिं ॥

चौपाई

सावन करक नाम रवि केरा।
भादौं सहि भवन का फेरा॥

आश्विन कन्या राशि विराजे ।
सुरतर नित्यनाम सुभ छाजै ॥

कातिक तुला दिवाकर नामा।
उदय करहिं विजय सुखधामा॥

मार्गशीर्ष वृश्चिक हिं सुनाई।
मित्रदास सब जग सुखदाई ॥

पूषमास धनराशि गनाये ।
विष्णु सनातन नाम कहाये॥

यहि विधि द्वादस मास के माहीं ।
मास मास प्रति उदद्य कराहीं॥

औरो बेद कहै जस बानी।
मास मास प्रति उदय भवानी ॥

दोहा

सुनो उमा सकल व्रत, दिन कर याहि विधान ।
जाहि करै शुभ गति मिले, गावै वेद पुरान ॥

॥ इति श्रीमहापुराणे सूर्यमाहात्म्यवर्णनो नाम दशमोऽध्यायः ॥10॥

 

सूर्य माहात्म्य - प्रथम अध्याय वन्ध्या स्त्री वर्णन * सूर्य माहात्म्य - दूसरा अध्याय कुष्ठ निवारण * सूर्य माहात्म्य - तीसरा अध्याय अंधे को दृष्टि मिलना * सूर्य माहात्म्य - चौथा अध्याय मनोवांछित फल मिलना * सूर्य माहात्म्य - पंचम अध्याय नारद का नग्न युवती देख मोहित होना * सूर्य माहात्म्य - षष्ठ अध्याय सूर्य माहात्म्य वर्णन * सूर्य माहात्म्य - सप्तम अध्याय सूर्य के पूर्व दिशा में उदय होने का वर्णन * सूर्य माहात्म्य - अष्टम अध्याय नारद का वर्णन * सूर्य माहात्म्य - नौवां अध्याय सूर्य माहात्म्य में कलि का वर्णन * सूर्य माहात्म्य - दसवाँ अध्याय बारह मास * सूर्य माहात्म्य - ग्यारहवाँ अध्याय व्रत विधान * सूर्य माहात्म्य - बारहवाँ अध्याय उमामहेश्वर संवाद

www.indianstates.in

***********

सूर्य माहात्म्य - दसवाँ अध्याय बारह मास Surya Mahatmya - Tenth Chapter Twelve months