सूर्य माहात्म्य - तीसरा अध्याय अंधे को दृष्टि मिलना
Surya Mahatmya - Third Chapter Restoring vision to a blind person
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आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)
सूर्य माहात्म्य - तीसरा अध्याय अंधे को दृष्टि मिलना
श्रीमहापुराण सूर्य माहात्म्य की रचन गोस्वामी तुलसी दास जी ने की है। इसमें कुल बारह अध्याय हैं।
तीसरा अध्याय अंधे को दृष्टि मिलना
चौपाई
सूर्य कथा मैं कहों बुझाई ।
मन क्रम बचन सुनो चितलाई ॥
जो नर होइ अंधयुगलोचन ।
सो यह कथा सुनै दुखमोचन ॥
करै लोन विन एक अहारा।
विविध भाँति कर नेम अचारा ॥
पीपर तरु तर सुनै पुराना ।
पावै लोचन अंध सुजाना ॥
अन्धा लोचन निश्चय पावै ।
जो यह कथा सुचित मन लावैं ॥
दोहा
अन्ध लहै निश्चय नयन, जो जानै प्रभु एक।
पुलकिम परम पुनीत यह, धरे कथा पर टेक ॥
॥ इति श्रीमहापुराणे सूर्यमाहात्म्ये अन्धलोचनप्राप्तो नाम तृतीयोऽध्यायः ॥3॥
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