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सूर्य माहात्म्य - दूसरा अध्याय कुष्ठ निवारण

Surya Mahatmya - Second Chapter Leprosy Cure

सूर्यदेव * अचला सप्तमी * सूर्य षष्ठी - छठ पूजा * आदित्य हृदय स्तोत्र * सूर्य गायत्री मंत्र * सूर्य स्त्रोत इक्कीस नाम * महीने के अनुसार सूर्य की उपासना * सोलह कलाओं पर सूर्य के नाम * सूर्य के 31 नाम * द्वादश आदित्य * सूर्य ध्यान स्तुति एवं जप * सूर्य माहात्म्य - प्रथम अध्याय वन्ध्या स्त्री वर्णन * सूर्य माहात्म्य - दूसरा अध्याय कुष्ठ निवारण * सूर्य माहात्म्य - तीसरा अध्याय अंधे को दृष्टि मिलना * सूर्य माहात्म्य - चौथा अध्याय मनोवांछित फल मिलना * सूर्य माहात्म्य - पंचम अध्याय नारद का नग्न युवती देख मोहित होना * सूर्य माहात्म्य - षष्ठ अध्याय सूर्य माहात्म्य वर्णन * सूर्य माहात्म्य - सप्तम अध्याय सूर्य के पूर्व दिशा में उदय होने का वर्णन * सूर्य माहात्म्य - अष्टम अध्याय नारद का वर्णन * सूर्य माहात्म्य - नौवां अध्याय सूर्य माहात्म्य में कलि का वर्णन * सूर्य माहात्म्य - दसवाँ अध्याय बारह मास * सूर्य माहात्म्य - ग्यारहवाँ अध्याय व्रत विधान * सूर्य माहात्म्य - बारहवाँ अध्याय उमामहेश्वर संवाद
 
अचला सप्तमी रथ सप्तमी सूर्यरथ सप्तमी आरोग्य सप्तमी सौर सप्तमी अर्क सप्तमीऔर भानुसप्तमी
 
आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

सूर्य माहात्म्य - दूसरा अध्याय कुष्ठ निवारण

श्रीमहापुराण सूर्य माहात्म्य की रचन गोस्वामी तुलसी दास जी ने की है। इसमें कुल बारह अध्याय हैं।

दूसरा अध्याय कुष्ठ निवारण

चौपाई

कथा कहौं रवि अमृतवानी ।
मन अस्थिर कर सुनहु भवानी॥

कुष्ठ बरन हो जाके अङ्गा ।
सुने मनुज सो भानु प्रसङ्गा॥

रवि दिन भोजन करे अलोना ।
पुष्प सुवास चढ़ावै दोना॥

विप्र बोलि रवि होम करावें ।
सो भस्म ले अङ्ग लगावै॥

निश्चय कुष्ट बरन छय जाई।
धनि महिमा है सूर्य गोसाई॥

दोहा

जाके कुष्ठ शरीर में, सो नित सुनै पुरान ।
निश्चय सूर्य प्रताप से, पावे कायादान ॥

चौपाई

सूर्य कथा मैं कहौं बखानी।
मन स्वतन्त्र होइ सुनहु भवानी॥

जाके बरण अङ्ग महँ होई।
सूरज कथा पाठ कर सोई॥

करै पांच व्रत हर इतवारां ।
नेम धर्म एक मधुर अहारा॥

चन्दन अगर लेप तन करई ।
निसदिन ध्यान सूर्य पर धरई ॥

भानु चरित्र सनै मनलाई ।
निश्चय कुष्ठबरन क्षय जाई॥ 

दोहा

जाके उपजे कुष्ठ जो, सो नित सुने पुरान ।
धनि महिमा आदित्य की करौं प्रताप बखान ॥

॥ इति श्रीमहापुराणे सूर्यमाहात्म्ये कुष्ठनिवारणे नाम द्वितीयोऽध्यायः ॥2॥

 

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सूर्य माहात्म्य - दूसरा अध्याय कुष्ठ निवारण Surya Mahatmya - Second Chapter Curing Leprosy