लक्ष्य प्राप्ति हेतु विजयादशमी की अपराजिता पूजा
Aparajita puja of Vijayadashami to achieve the goal
लक्ष्य प्राप्ति हेतु विजयादशमी की अपराजिता पूजा
लक्ष्य प्राप्ति हेतु विजयादशमी की अपराजिता पूजा
निर्णयामृत नामक ग्रंथ के अनुसार शुक्ल दशमी (विजयादशमी) को प्रस्थान करने के पहले अपराजिता का पूजन किया जाता है। उसके लिये अक्षतादि के अष्टदल पर मिट्टी की मूर्ति स्थापन करके 'ॐ अपराजितायै नम:' इस मंत्र से देवी अपराजिता का, (उसके दक्षिण भागमें) ॐ क्रियाशक्त्यै नमः' इससे देवी जया का (उसके वाम भागमें) ॐ उमायै नमः' इससे देवी विजया का स्थापन करके, आवाहन करें , पूजन करें। अब जया - विजया और अपराजिता देवी की इन मंत्रों से प्रार्थना करें -
चारुणा मुखपद्येन विचित्र- कनकोज्ज्वला ।
जया देवी भवे भक्ता सर्वकामान् ददातु मे ॥
काञ्चनेन विचित्रेण केयूरेण विभूषिता ।
जयप्रदा महामाया शिवभावितमानसा ॥
विजया च महाभागा ददातु विजयं मम ।
हारेण सुविचित्रेण भास्वत्कनकमेखला ।
अपराजिता रुद्ररता करोतु विजयं मम ॥
अब हल्दी से रंगे हुए वस्त्र में दूब और सरसों रखकर डोरा बनावे। फिर नीचे दिये गए मंत्र से अभिमन्त्रित करें -
सदापराजिते यस्मात्त्वं लतासूत्तमा स्मृता ।
सर्वकामार्थसिद्ध्यर्थं तस्मात्त्वां धारयाम्यहम् ॥
अब अभिमंत्रित डोरे को नीचे दिये गए मंत्र को पढ़ते हुए दाहिने हाथमें धारण करें -
जयदे वरदे देवि दशम्यामपर जिते ।
धारयामि भुजे दक्षे जयलाभाभिवृद्धये ॥
अब आप माता के आशीर्वाद से पोषित और रक्षित होकर आपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु (बेटी विवाह के वर ढूँढना , केस-मुकदमा, व्यापार और महत्वपूर्ण कार्य आदी) प्रारंभ करें।
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