नवरात्रि में शमी पूजन
नवरात्रि में शमी पूजन
दशहरे के दिन शमी की पूजा कैसे करें?
निर्णयसिन्धु के अनुसार, विजया दशमी के दिन शाम के समय शमी वृक्ष का पूजन करना चाहिये। अगर आप का कार्य यात्राओं से जुड़ा है तो नगर के बाहर जाकर ईशानकोण में शमी वृक्ष का पूजन करें, इसके साथ ही साल भर यात्राओं में लाभ मिलता है। शमी वृक्ष का पूजन करने से आरोग्य व धन मिलता है। बाधा समाप्त होती है एवं हर काम में सफलता प्राप्त होती है।
शमी वृक्ष का पूजन कैसे करें -
नवग्रह, मातृ का मण्डल व अष्टदल बनायें। कलश स्थापन करें । गणेशादि देवता का पूजन करें। फिर शमी वृक्ष के मूल में खनन करें (अस्त्र व लोह दण्ड से नहीं करें) एवं वहां स्वर्ण शलाका, तंडुल, पूंगीफल स्थापित करें, पूजन करें। मौली (कलावा) से वस्त्र को शमी वृक्ष में बंधन (लपेटे) करें।
संकल्प –
यात्रायां विजय सिद्धयर्थं वास्तु दिक्पाल पूजन मार्गदेवता, शमी पूजन अपराजिता पूजनं चाहं करिष्ये ।
ध्यान करे
अमंगलानां शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च ।
दुःस्वप्न प्रनाशिनीं धन्यां प्रपदयेहं शमीं शुभाम् ।
ॐ अपराजितायै नमः दक्षिणे ।
ॐ क्रियायै नमः वामे ।
ॐ शमी देवतायै नमः ।
अब शमी वृक्ष का पूजन करें । पूजन के बाद प्रार्थना करें -
प्रार्थना
शमीशमय में पापं शमी लोहित कंटका ।
धारिण्यर्जुन बाणानां रामस्य प्रियवादिनी ॥
करिष्यमाण यात्रायां यथा काल सुखं मया ।
तत्र निर्विघ्न कर्त्रीत्त्व भव श्री राम पूजिता ।
दूध या जल से धारा देवें
आसिंचिता मयादेवि सदा शांतिं प्रयच्छमे ।
इसके बाद आपोहिष्ठा से शांति व पुण्यावाचन करें।
ॐ अपोहिष्ठा मयोभुवः ता न ऊर्जे दधातन ।
महेराणाय चक्षसे।
योवः शिवतमो रसः तस्य भजायते हनः उष्टैरिव मातरः ।
तस्मा अरङ्ग मामवः यस्य क्षयाय जिन्वथ ॥
आपोजन्यथा च नः ॥
आपोहिष्ठा हिंदी में - हे, जल संबंधी देवताओं, आप हमें खुशी प्रदान कर रहे हैं जल के रूप में आप सुख को प्रवाहित करते हैं। और तू हमें अन्न का आशीर्वाद देता है और अन्य संबंधित आवश्यकताएं और हमें भक्ति भी प्रदान करती हैं। हे, जल संबंधी देवता, आप शुभ हैं, आप बहुत हैं प्रख्यात, आप हमें खुशी और आनंद प्रदान कर रहे हैं। आप सभी माताओं की तरह अपने नवजात शिशु को दूध पिलाना और उसकी रक्षा करना पसंद करते हैं। हमने जो पाप किये हैं उनको नष्ट करने के लिये ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी हम जल में सर्वव्यापी श्री नारायण से प्रार्थना कर रहे हैं जिससे हमउनके आशीर्वाद से सुखी जीवन जियें।
रक्षा बंधन (कलावा बांधें ) करें । मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं. इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है।
शमी पत्र कब कब नहीं तोड़ना चाहिए?
मंगलवार और शनिवार को शमी के पत्ते तोड़ने से बचना चाहिए क्योंकि ये दिन विशिष्ट देवताओं से जुड़े होते हैं और उन दिनों पत्तों को परेशान करने या तोड़ने से आपके घर में समस्याएं आ सकती हैं और शनि दोष लग सकते हैं।
शमी के पेड़ में दीपक कब जलाना चाहिए?
सावन के महीने में इस पौधे के पास दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है।
शमी पत्ते चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिये ?
शमी पत्ते चढ़ाते समय यह मंत्र बोलें -
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
शमी के वृक्ष पर कौन से देवता का वास होता है?
शमी के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है. ऐसे में शनिवार के दिन शमी के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
अच्छी नौकरी पाने के लिए शमी का प्रयोग
शनिवार को शमी का पौधा उत्तर दिशा में लगाएं और उसके बाद तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल चंदन डालकर ऊं नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए शमी के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं। ऐसा लगातार करते रहने से आपको शीघ्र ही अच्छी नौकरी पाने में सफलता मिलेगी।