कवच, अर्गला, कीलक का हवन विधि
Havan method of Kavach, Argala and Kilak
कवच, अर्गला, कीलक का हवन विधि
अगर आप ने नवरात्र में कवच का पाठ किया है तो नवदुर्गा को निम्न द्रव्यों से आहुतियाँ दें -
(१) ॐ शैलपुत्र्यै स्वाहा (शिलाजीत से )
(२) ॐ ब्रह्मचारिण्यै स्वाहा (ब्राह्मी से)
(३) ॐ चन्द्रघण्टायै स्वाहा (सहदेवी से)
(४) ॐ कुष्माण्डायै स्वाहा (लोकी, कुष्माण्ड से)
(५) ॐ स्कन्दमातायै स्वाहा - (आमीहल्दी से)
(६) ॐ कात्यायिन्यै स्वाहा (बहड़ से)
(७) ॐ कालरात्र्यै स्वाहा (नीम गिलोय से)
(८) ॐ महागौर्यै स्वाहा - (दारूहल्दी से)
(९) ॐ सिद्धिदात्र्यै स्वाहा (आंवला से)
फिर निम्न मंत्र की आहुति घी और गुग्गल से दें -
नमस्तेऽस्तु महारौद्रे महाघोरपराक्रमे ।
महाबले महोत्साहे महाभयविनाशिनि ॥ स्वाहा ॥
अर्गला की आहुतियाँ -
(अर्गला की आहुतियाँ अर्गला स्त्रोत के पूरा पाठ पढ़ते हुए दें। अर्गला का हवन तिल में मधु मिला कर की जाती है।
कीलक की आहुतियाँ
कीलक की निम्न मंत्र से आहुति दें -
ॐ विशुद्धज्ञान देहाय त्रिवेदी दिव्य चक्षुषे ।
श्रेयः प्राप्ति निमित्ताय नमः सोमार्द्धधारिणे ॥ स्वाहा ॥
कीलक में शरणापन्न भावना है अतः निम्न मंत्र से आहुति करना अच्छा है-
ॐ सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते ॥ स्वाहा ॥
इसके बाद सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का पाठ करें।
अंत में क्षमा प्रार्थना कर लें।
(नोट - सहदेवी का दूसरा नाम उत्तमकण्यपत्र, दंडोतपाला, केसरिका, देवसाहा, मृगदानी और देवरा है।)
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