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कुमारी कन्या पूजन मंत्र एवं विधि

Kumari Kanya Puja Mantra

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 कुमारी कन्या पूजन मंत्र एवं उसका फल उम्र

कुमारी कन्या पूजन मंत्र एवं विधि

आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

भारत में मां दुर्गा की आराधना के कई पद्धति हैं - तांत्रिक, पारंपरिक और वैष्णव। इसमें कात्यायनी तंत्र (गीता प्रेस ने इसी को छपा है), हरगौरी तंत्र, भुवनेश्वरी संहिता , गुप्तवती टीका आदि पुस्तकें हैं । सब विधि में मूल मंत्र तो एक है परन्तु तांत्रिक पद्धति में मन्त्रों की संख्या थोड़ी बढ़ जाती है। कन्या पूजन पर भी अलग -अलग मत हैं। पारंपरिक पूजा में कुमारी पूजा की उम्र द्विवर्षीय से दशवर्षीय कुमारियों की ही है। परंतु तंत्र -शास्त्रों में (रुद्रयामल एवं बृहदनिल ) में एकवर्षीय से सोलह वर्षीय तक देवियो का उल्लेख है। हम यहां शास्त्रों में कुमारी कन्या पूजन हेतु वर्णित हिंदी में अर्थ एवं संस्कृत पूजन मंत्र दे रहे हैं एवं नीचे उसका संस्कृत श्लोक दे रहे हैं। मां दुर्गा की कृपा आप पर बनी रहे।

कुमारी कन्या पूजन मंत्र एवं उसका फल

उम्र - 1 वर्ष, पूजन योग्य नहीं हैं।

उम्र - 2 वर्ष, नाम- कुमारिका, फल- दुःख, दरिद्रता का नाश, शत्रुनाश, धन, आयु, बल, बृद्धि।
मंत्र - ॐ कुमारिकायै नमः ।

उम्र - 3 वर्ष, नाम- त्रिमूर्ति, फल - आयु, स्वर्ग सुख धन-धान्य की वृद्धि, पुत्र-पौत्रादि ।
मंत्र- ॐ त्रिमूत्यै नमः ।

उम्र - 4 वर्ष, नाम कल्याणी, फल विद्या प्राप्ति, विजय, राज्य-लाभ, यशोलाभ, सुख।
मंत्र - ॐ कल्याण्यै नमः ।

उम्र - 5 वर्ष, नाम रोहिणी, फल- रोगनाश ।
मंत्र - ॐ रोहिण्यै नमः ।

उम्र - 6 वर्ष, नाम कालिका, फल- शत्रु नाश ।
मंत्र - ॐ कालिकायै नमः ।

उम्र - 7 वर्ष, नाम- चण्डिका, फल- ऐश्वर्य, धर्म ।
मंत्र - ॐ चण्डिकायै नमः ।

उम्र - 8 वर्ष, नाम- शाम्भवी, फल- राज-सम्मोहन, दुःख दारिद्र्यनाश, युद्ध में विजय, क्रूरशत्रु का विनाश, अभिचार कर्म में सिद्धि ।
मंत्र - ॐ शाम्भव्यै नमः ।

उम्र - 9 वर्ष, नाम- दुर्गा, फल- स्वर्ग लोक का सुख ।
मंत्र - ॐ दुर्गायै नमः।

उम्र - 10 वर्ष, नाम- सुभद्रा, फल- मनोरथ की प्राप्ति ।
मंत्र - ॐ सुभद्रायै नमः ।

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एकवर्षा न कर्तव्या कन्या पूजाविधौ नृप ।
अरसज्ञा तु भोगानां गन्धादीनां तु बालिका।।

कुमारिका च सा प्रोक्ता द्विवर्षा या भवेदिह ।
त्रिमूर्ती त्रिवर्षा च कल्याणी चतुरशब्दिका ।।

रोहिणी पञ्चवर्षा च कालिका पष्ठवार्षिकी।
चण्डिका सप्तवर्षां च अष्टवर्षा च शाम्भवी ।।

नववर्षा भवेद् दुर्गा सुभद्रा दशवार्षिकी।
तत ऊर्ध्वं न कर्त्तव्या सर्वकार्यविगर्हिता ।।

एभिश्च नामभि: पूजा कर्तव्या विधिसंयुता।
तासां फलानि वक्ष्यामि नवानां पूजने सदा ।।

कुमारी पूजिता कुर्याद् दुःखदारिद्र्यनाशनम्।
शत्रुक्षयं धनायुष्यं बलं वृद्धिं करोति वै ।।

त्रिमूर्तिपूजनायदायु: त्रिवर्गस्य फलं भवे।
धनधान्यागमश्चैव पुत्रपौत्रादिवृद्धि च।।

विद्यार्थी विजयार्थी च राज्यार्थी यशपार्थिवः।
सुखार्थी पूजयेन्तु कल्याणी सर्वकामदाम् ।।

रोहिणी रोगनाशाय पूजयेद् विधिवन्नरः ।
कालिका शत्रुनाशार्थं पूजयेदविधिपूर्वकम्।।

ऐश्वर्य धर्मकामाय चण्डिकां परिपूजयेत् ।
पूजयेच्छाम्भवीं नित्यं नृपसम्मोहनाय च ।।

दुःखदारिद्र्यनाशाय सङ्ग्रामविजयाय च।
क्रूरशत्रुविनाशार्थं तथोग्रकर्मसाधने ।।

दुर्गां च पूजयेद् भक्त्या परलोकसुखाय च ।
वाञ्छितार्थस्य सिद्ध्यर्थं सुभद्रां पूजयेत् सदा ।।

रोहिणीं रोगनाशाय पूजयेद्विधिवन्नरः ।
श्रीरसीति च मंत्रेण पूजयेद् भक्तितत्परः ।।

श्रीसूक्तमन्या बीजमंत्रैरथापि वा।
कुमारस्य च तत्त्वानि याम्य इत्यपि लीलया ।।

कादीनपि वदेवस्तु कुमारीं पूजयाम्यहम्।
सत्त्वादिभिः त्रिमूर्तायाः तैहींना सौम्यरूपिणी ।।

त्रिकालव्यापिनीं शक्तिं त्रिमूर्तिं पूजयाम्यहम् ।
कल्याणकारिणीं नित्यं भवतानां पूजितानिशम् ।।

पूजयामि च तां भक्त्या कल्याणी सर्वकामदाम् ।
रोहयति च बीजानि पूर्व्वजन्माञ्चितानि वै।।

या देवी सर्वभूतानां रोहिणीं पूजयाम्यहम् ।
कालिका लयते सर्वं ब्रह्माण्डं सचराचरम्।।

कल्पान्तसमये या तां कालिकां पूजयाम्यहम्।
चण्डिकां चण्डरूपाञ्च चण्डमुण्डविनाशिनीम् ।।

ताञ्चण्डपापहारिणीं चण्डिकां पूजयाम्यहम् ।
अकाराणां समुत्पत्तिर्या भूतैः परिकीर्तिता ।।

यस्यास्तां सुखदां देवीं शाम्भवीं पूजयाम्यहम् ।
दुर्गा चायाति भक्ते या सदा दुर्गतिनाशिनी ।।

दुर्गया सर्वदेवानां तां दुर्गा पूजयाम्यहम्।
सुभद्राणि च भक्तानां शरणं तु पूजिता सदा ।।

अभद्रनाशिनी देवी सुभद्रां पूजयाम्यहम् ।
एभिर्मंत्र पूजनीया नवधा कन्यकास्त्विमाः ।।

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