श्री बगलामुखी मंत्र
Sri Baglamukhi Mantra
श्री बगलामुखी मंत्र
॥ अथ बगलामुखी मंत्र प्रयोगः ॥
बगलामुखी, जिसे "दुश्मनों को शक्तिहीन बनाने वाली देवी" के रूप में जाना जाता है जो दस महाविद्या की आठवीं देवी हैं। बगला मुखी उपासना शत्रुनाशक एवं लक्ष्मी प्राप्तिकारक है। इसका प्रयोग रोग स्तंभन में महामृत्युञ्जय के साथ करना चाहिये। बगलामुखी माँ सुनहरे/पीले रंग से संबंधित है, इसलिए उन्हें "पीतांबरी" के नाम से भी जाना जाता है। स्तम्बिनी देवी, जिन्हें ब्रह्मास्त्र रूपिनी के नाम से भी जाना जाता है, एक शक्तिशाली देवी हैं, जो अपने उपासकों को सहने वाली कठिनाइयों को नष्ट करने के लिए एक गदा या हथौड़े का इस्तेमाल करती हैं। शत्रु द्वारा किये गये अभिचार को समाप्त करने के लिए भगवति बगलामुखि का अभिषेक पहिले सरसों के तेल से करके स्तोत्र पढ़कर फिर दुग्धादि से अभिषेक करना चाहिए अलग- अलग कामना के लिये अलग-अलग मंत्र व स्तोत्र तथा हवन, अभिषेक द्रव्य हैं ।
षटत्रिंशदक्षर बगलामुखी मंत्र
देवी बगला, जिन्हें वल्गामुखी के नाम से भी जाना जाता है, को बगलामुखी मंत्र से सम्मानित किया जाता है। "बगला" एक कोर्ड (तंतु) को संदर्भित करता है जिसे जीभ की गति को नियंत्रित करने के लिए मुंह में रखा जाता है, जबकि मुखी, चेहरे के लिए बोला गया है। इस बगलामुखी मंत्र में माँ एक क्रोधित देवी के रूप हैं, जो अपने दाहिने हाथ से गदा चलाती है, एक राक्षस को मारती है और उसकी जीभ को अपने बाएं हाथ से बाहर निकालती है।
१. विनियोग - ॐ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि त्रिष्टुप छन्दः श्रीबगलामुखी देवता ह्रीं बीजं स्वाहा शक्तिः प्रणवः कीलकं श्री महामाया बगलामुखी देवता वरप्रसाद सिद्धि द्वारा मम सन्निहितानाम् असन्निहितानां विरोधिनां दुष्टानां वाङ्मुखबुद्धीं गतिं स्तंभनार्थे जिह्वां कीलनार्थे सर्वोपद्रव शमनार्थे ममाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोग ।
२. ऋष्यादिन्यास - शिरसि नारदऋषये नमः । मुखे - त्रिष्टुप्छन्द से नमः । हृदि बगलामुख्यैनमः । गुह्ये ह्रीं बीजाय नमः । पादयोः स्वाहा, शक्तये । प्रणव कीलकाय नमः सर्वाङ्गे ।
३. षडङ्गन्यास - ॐ ह्रीं - अगुष्ठाभ्यां नमः । हृदयाय नमः । बगलामुखी तर्जनीभ्यां नमः । शिरसे स्वाहा । सर्वदुष्टानां - मध्यमाभ्यां नमः । शिखायै वषट् । वाचं मुखं पदं स्तंभय - अनामिकाभ्यांनमः । कवचाय हुँ । जिह्वां कीलय - किनिष्ठिकाभ्यां नमः । नेत्रत्रयाय वौषट् । बुद्धि विनाशय ह्री ॐ स्वाहा, करतल पृष्ठाभ्यां नमः । अस्त्राय फट् ।
ध्यानं
मध्ये सुधाब्धि मणिमण्डप रत्नवेद्यां, सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णी ।
पीताम्बराभरण माल्य विभूषिताङ्ग, देवीं भजामि धृतमुद्गर वैरिजिह्वाम् ॥१॥
जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं वामेन शत्रून् परिपीडयन्तीं ।
गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि ॥२॥
षटत्रिंशदक्षर बगलामुखी जप मंत्र
(इस मंत्र का जप करना है। कई साधक दुर्गा के बाकी नर्वाण मंत्र की तरह हीं इस मंत्र को जप कर सिद्ध करते हैं। )
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय । जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ॥
बंद होने के कगार पर पहुँचने वाले उद्योगो को पुन: तरक्की प्रदान करने हेतु तथा भूमि दोष, प्रेतादि दोष आदि से मुक्ति के लिए मंत्र -
विनियोग - ॐ अस्य श्रीबगलामुखी ब्रह्मास्त्र मंत्रस्य भैरव ऋषि विराट् छन्दः श्री बगलामुखी देवता, क्लीं बीजम् ऐं शक्तिः श्रीं कीलकं श्री महामाया बगलामुखी वरप्रसाद सिद्धि द्वारा ममसर्वाभीष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
ऋष्यादि न्यास - शिरसि, भैरव ऋषयेनमः । मुखे, विराट् छन्द से नमः । हृदि, गलामुखी देवतायै नमः । गुह्ये क्लीं बीजाय नमः। पादयो, एं शक्तये नमः । सर्वाङ्गे, श्रीं कीलकाय नमः ।
षडङ्गन्यास - ( षडङ्गन्यास (अंगन्यास) से साधक का शरीर साधनार्थ योग्यता, साधक में देव-भाव की उत्पत्ति होती है। साधना का मूल सिद्धान्त है कि देवता जैसा बन कर ही देवोपासना की जा सकती है। न्यास-विधान इसी का क्रियात्मक स्वरुप है।)
षडङ्गन्यास -
ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं अगुष्ठाभ्यां नमः । हृदयाय नमः । श्री बगलानने - तर्जनीभ्यां नमः ।
शिरसे स्वाहा । ममरिपूजन नाशय नाशय - मध्यमाभ्यां नमः । शिखायै वषट् । ममैश्वर्याणि देहि - देहि - अनामिकाभ्यांनमः । कवचाय हुँ ।
शीघ्रं मनोवांछितं कार्य साधय साधय कनिष्ठिकाभ्यां नमः नेत्रत्रयाय वौषट् ।
ह्रीं स्वाहा करतल करपृष्ठाभ्यां नमः अस्त्राय फट् ।
ध्यानं -
सौवर्णासन संस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लासिनीम् ।
हेमाभाङ्ग रुचिं शशाङ्कमुकुटां सच्चम्पक प्रयुताम् ॥
हस्तैर्मुद्गर पाश वज्र रसनाः संविभ्रतीं भूषणैः ।
व्याप्ताङ्गीं बगलामुखीं त्रिजगतां संस्तम्भिनीं चिन्तयेत् ॥
अब इन नीचे दिए दो मंत्रों में से किसी एक का जप करें। सवा लाख हो तो अच्छा।
पहला मंत्र:ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय - नाशय,
ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवांछितं कार्यं साधय साधय ह्रीं श्रीं स्वाहा ॥
दूसरा मंत्र
श्रीं ह्रीं ऐं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय
नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवांछितं
कार्यं साधय साधय ह्रीं श्रीं स्वाहा ॥
बगलामुखी मंत्र का जाप कैसे करें
बगलामुखी मंत्रों को करने का सबसे अच्छा समय है, सुबह 4 बजे से 6 बजे का ब्रह्म मुहूर्त है। स्नान करने के बाद आसान पर बैठ जाएं। माँ बगलामुखी की मूर्ति या तस्वीर पर पीले फूल से पूजा करें। अगर मूर्ति या तस्वीर नहीं है तो मानसिक रूप से मँ का ध्यान कर उनके नाम से पीला फूल चढ़ा दें। अब एक जप माला पर जप शुरू करें। माता आपको सफलता देंगी।
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