श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र हिंदी अर्थ के साथ
Shri Vindhyeshwari Stotra with Hindi Meaning
श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र हिंदी अर्थ के साथ
श्रीविन्ध्येश्वरीस्तोत्रम्
निशुम्भशुम्भमर्दिनीं प्रचण्डमुण्डखण्डिनीम् ।
वने रणे प्रकाशिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥ १ ॥
हिंदी भावार्थ - शुम्भ तथा निशुम्भका संहार करनेवाली, चण्ड तथा मुण्ड का विनाश करनेवाली, वन में तथा युद्धस्थल में पराक्रम प्रदर्शित करनेवाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ॥ १ ॥
त्रिशूलरत्नधारिणीं धराविघातहारिणीम् ।
गृहे गृहे निवासिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥ २॥
हिंदी भावार्थ - त्रिशूल तथा रत्न धारण करनेवाली, पृथ्वीका संकट हरनेवाली और घर-घरमें निवास करनेवाली भगवती विन्ध्यवासिनीकी मैं आराधना करता हूँ ॥ २ ॥
दरिद्रदुःखहारिणीं सतां विभूतिकारिणीम् ।
वियोगशोकहारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥ ३ ॥
हिंदी भावार्थ - दरिद्रजनोंका दुःख दूर करनेवाली, सज्जनोंका कल्याण करनेवाली और वियोगजनित शोकका हरण करनेवाली भगवती विन्ध्यवासिनीकी मैं आराधना करता हूँ ॥ ३ ॥
लसत्सुलोललोचनां लतां सदावरप्रदाम् ।
कपालशूलधारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥ ४॥
हिंदी भावार्थ - सुन्दर तथा चंचल नेत्रोंसे सुशोभित होनेवाली, सुकुमार नारी- विग्रहसे शोभा पानेवाली, सदा वर प्रदान करनेवाली और कपाल तथा शूल धारण करनेवाली भगवती विन्ध्यवासिनीकी मैं आराधना करता हूँ ॥ ४॥
करे मुदा गदाधरां शिवां शिवप्रदायिनीम् ।
वरावराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥ ५ ॥
हिंदी भावार्थ - प्रसन्नतापूर्वक हाथ में गदा धारण करनेवाली, कल्याणमयी, सर्वविध मंगल प्रदान करनेवाली तथा सुरूप-कुरूप सभी रूपों में व्याप्त परम शुभस्वरूपा भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ॥५॥
ऋषीन्द्रजामिनप्रदां त्रिधास्यरूपधारिणीम् ।
जले स्थले निवासिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥ ६ ॥
हिंदी भावार्थ - ऋषिश्रेष्ठ के यहाँ पुत्रीरूप से प्रकट होनेवाली, ज्ञानालोक प्रदान करनेवाली; महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वतीरूपसे तीन स्वरूपों को धारण करनेवाली और जल तथा स्थल में निवास करनेवाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ॥ ६ ॥
विशिष्टसृष्टिकारिणीं विशालरूपधारिणीम् ।
महोदरां विशालिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥ ७॥
हिंदी भावार्थ - विशिष्टता की सृष्टि करनेवाली, विशाल स्वरूप धारण करनेवाली, महान् उदर से सम्पन्न तथा व्यापक विग्रहवाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ॥ ७॥
पुरन्दरादिसेवितां मुरादिवंशखण्डिनीम् ।
विशुद्धबुद्धिकारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥ ८॥
हिंदी भावार्थ - इन्द्र आदि देवताओं से सेवित, मुर आदि राक्षसों के वंश का नाश करनेवाली तथा अत्यन्त निर्मल बुद्धि प्रदान करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ॥ ८ ॥
॥ इति श्रीविन्ध्येश्वरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
॥ इस प्रकार श्रीविन्ध्येश्वरीस्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥