महामारी, अमङ्गल, ग्रह-दोष नाश एवं भूत-प्रेतादि-नाश के लिये हनुमान मंत्र
For the destruction of epidemics, inauspicious events, planetary defects and ghosts
महामारी, अमङ्गल, ग्रह-दोष नाश के लिये हनुमान मंत्र
महामारी, अमङ्गल, ग्रह-दोष नाश के लिये हनुमान मंत्र का कितना जप करना चाहिए ?
सभी प्रकार के महामारी, अमङ्गल, ग्रह-दोष एवं भूत-प्रेतादि-नाशके लिये इस मंत्र का जाप हर यह मन्त्र मंगलवार को दिनभर व्रत रखने के बाद अर्धरात्रि में हनुमानजी के मन्दिर में सात हजार जप करनेसे सिद्ध हो जाता है।
हनुमान मंत्र को सिद्ध करने के लिये हनुमान जी के मन्दिर में जाकर हनुमान जी की पंचोपचार पूजा करें और शुद्ध घृत का दीपक जलाकर भीगी हुई चने की दाल और गुड़ का प्रसाद का भोग लगाएं और सिद्धिके बाद हनुमानजीके समक्ष दशांश हवन करना चाहिये ।
महामारी, अमङ्गल, ग्रह-दोष नाश के लिये हनुमान मंत्र न्यास
ॐ ह्रां अञ्जनीसुताय अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रीं रुद्रमूर्तये तर्जनीभ्यां नमः ।
ॐ हूं रामदूताय मध्यमाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रैं वायुपुत्राय अनामिकाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रौं अग्निगर्भाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रः ब्रह्मास्त्र- निवारणाय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ अञ्जनीसुताय हृदयाय नमः ।
ॐ रुद्रमूर्तये शिरसे स्वाहा। ॐ रामदूताय शिखायै वषट् ।
ॐ वायुपुत्राय कवचाय हुम् ।
ॐ अग्निगर्भाय नेत्रत्रयाय वौषट् । ॐ ब्रह्मास्त्रनिवारणाय अस्त्राय फट् ।।
महामारी, अमङ्गल, ग्रह-दोष नाश के लिये हनुमान मंत्र ध्यान
ध्यायेद् बालदिवाकरद्युतिनिभं देवारिदर्पापहं
देवेन्द्रप्रमुखं प्रशस्तयशसं देदीप्यमानं रुचा ।
सुग्रीवादिसमस्तवानरयुतं सुव्यक्ततत्त्वप्रियं
संरक्तारुणलोचनं पवनजं पीताम्बरालंकृतम् ॥
ध्यान का हिंदी भावार्थ -
प्रातःकालीन सूर्यके सदृश जिनकी शरीर-कान्ति है, जो राक्षसों का अभिमान दूर करनेवाले, देवताओं में एक प्रमुख देवता, लोकविख्यात यशस्वी और अपनी असाधारण शोभा से देदीप्यमान हो रहे है, सुग्रीव आदि सभी वानर जिनके साथ हैं, जो सुव्यक्त तत्त्व के प्रेमी हैं , जिनकी आँखे अतिशय लाल-लाल है और जो पीले वस्त्रों से अलंकृत हैं, उन पवनपुत्र श्रीहनुमानजी- का ध्यान करना चाहिये।
महामारी, अमङ्गल, ग्रह-दोष नाश एवं भूत-प्रेतादि-नाश के लिये हनुमान मंत्र
ॐ ऐं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रौं ह्रः ॐ नमो भगवते महाबल-पराक्रमाय भूतप्रेतपिशाचब्रह्मराक्षसशाकिनीडाकिनीयक्षिणी-पूतनामारीमहामारी राक्षसभैरववेतालग्रहराक्षसादिकान् क्षणेन हन हन भञ्जय भञ्जय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामाहेश्वररुद्रावतार ॐ ह्रं फट् स्वाहा। ॐ नमो भगवते हनुमदाख्याय रुद्राय सर्वदुष्टजनमुखस्तम्भनं कुरु कुरु स्वाहा । ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ठं ठं ठं फट् स्वाहा ।