सर्वविघ्ननिवारण के लिये हनुमान मंत्र
Hanuman Mantra for removal of all obstacles
सर्वविघ्ननिवारण के लिये हनुमान मंत्र
सर्वविघ्ननिवारण के लिये हनुमान मंत्र का कितना जप करना चाहिए ?
सर्वविघ्ननिवारण के लिये हनुमान जी का सर्वविघ्ननिवारण मंत्र का प्रयोग किया जाता है । इस मंत्र को सिद्ध करने के लिये हनुमान जी के मन्दिर में जाकर हनुमान जी की पंचोपचार पूजा करें और शुद्ध घृत का दीपक जलाकर भीगी हुई चने की दाल और गुड़ का प्रसाद लगाकर कम से कम एक माला का मंत्र जाप यानी 108 बार लगातार 11 दिन तक करना है। और अंत में जप के दशमांश से हवन करें। गुरु को धन-धान्य दान करें। इससे सारे विघ्न का निवारण हो जाता है।
सर्वविघ्ननिवारण के लिये हनुमान मंत्र न्यास
ॐ ह्रां अञ्जनीसुताय अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रीं रुद्रमूर्तये तर्जनीभ्यां नमः ।
ॐ हूं रामदूताय मध्यमाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रैं वायुपुत्राय अनामिकाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रौं अग्निगर्भाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रः ब्रह्मास्त्र- निवारणाय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ अञ्जनीसुताय हृदयाय नमः ।
ॐ रुद्रमूर्तये शिरसे स्वाहा। ॐ रामदूताय शिखायै वषट् ।
ॐ वायुपुत्राय कवचाय हुम् ।
ॐ अग्निगर्भाय नेत्रत्रयाय वौषट् । ॐ ब्रह्मास्त्रनिवारणाय अस्त्राय फट् ।।
सर्वविघ्ननिवारण के लिये हनुमान मंत्र ध्यान
ध्यायेद् बालदिवाकरद्युतिनिभं देवारिदर्पापहं
देवेन्द्रप्रमुखं प्रशस्तयशसं देदीप्यमानं रुचा ।
सुग्रीवादिसमस्तवानरयुतं सुव्यक्ततत्त्वप्रियं
संरक्तारुणलोचनं पवनजं पीताम्बरालंकृतम् ॥
ध्यान का हिंदी भावार्थ -
प्रातःकालीन सूर्यके सदृश जिनकी शरीर-कान्ति है, जो राक्षसों का अभिमान दूर करनेवाले, देवताओं में एक प्रमुख देवता, लोकविख्यात यशस्वी और अपनी असाधारण शोभा से देदीप्यमान हो रहे है, सुग्रीव आदि सभी वानर जिनके साथ हैं, जो सुव्यक्त तत्त्व के प्रेमी हैं , जिनकी आँखे अतिशय लाल-लाल है और जो पीले वस्त्रों से अलंकृत हैं, उन पवनपुत्र श्रीहनुमानजी- का ध्यान करना चाहिये।
सर्वविघ्ननिवारण के लिये हनुमान मंत्र
ॐ नमो हनुमते परकृतयन्त्रमन्त्रपरार्हकार भूतप्रेत- पिशाच परदृष्टि सर्वविध्नटार्जनचेकुविधा सर्वोग्रभयान् निवारय निवारय वध वध लुण्ठ लुण्ठ पच पच विलुश्च विलुञ्च किलि किलि किलि सर्वकुयन्त्राणि दुष्टवाचं ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं फट् स्वाहा।