श्री हनुमत् ध्यानम्
श्री हनुमत् ध्यानम्
यहाँ पर दो हनुमत ध्यान दिया जा रहा है। आप किसी एक से प्रतिदिन बजरंग बली हनुमान जी का धायण कर सकते हैं। हनुमानजी का प्रतिदिन ध्यान करने से करने से साधक की बुद्धि से क्रोध को हट कर शांत चित्त, निर्भीक और सही निर्णय लेने वाला हो जाता है।
1. श्री हनुमत् ध्यानम्
रामेष्टमित्रं जगदेकवीरं
प्लवंगराजेन्द्रकृत प्रणामम् ।
सुमेरू शृंगागमचिन्त्यामाद्यं
हृदि स्मेरहं हनुमंतमीड्यम् ॥
2. श्री हनुमत् ध्यानम् (रामरक्षा स्त्रोत से)
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये ।।
हिंदी भावार्थ : जिनकी मन के समान गति है और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्दिय और बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, उन पवनपुत्र वानरों में प्रमुख श्रीरामदूत की मैं शरण लेता हूं। कलियुग में हनुमानजी की भक्ति से बढ़कर किसी अन्य की भक्ति में शक्ति नहीं है।