पंचमुखी हनुमान
श्रीरामावतार सारे कष्ट से मुक्ति दिलाती है
पंचमुखी हनुमान के स्वरूप
रामायण के मुताबिक हनुमान जी के प्रत्येक मुख में त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंख और दो भुजाएं हैं। हनुमान जी के पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप है। पैरिणिक कथा के मुताबिक हनुमान के पांच मुख का अवतार भक्तों के कल्याण के लिए हुआ है। पश्चिम दिशा की ओर वाला मुख गरुड का हैं जो भक्तिप्रद, संकट, विघ्न-बाधा निवारक माने जाते हैं। गरुड की तरह हनुमानजी भी अजर-अमर माने जाते हैं।
बजरंग बलि का उत्तर दिशा वाला मुख शूकर का है और इनकी आराधना करने से अपार धन-सम्पत्ति,ऐश्वर्य, यश, दिर्धायु और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। अतः दक्षिणमुखी स्वरूप भगवान नृसिंह का है जो भक्तों के भय, चिंता, परेशानी को दूर करता हैं।हनुमान जी के पंचमुखी अवतार के पीछे एक कथा है जिसके मुताबिक राम के साथ युद्ध के समय रावण को अपनी हार का आभास होते ही उन्होंने अपने भाई भाई अहिरावण से मदद मांगी। रावण की मदद मांगने पर अहिरावण ने एक जाल बुना और अपने माया जाल से सारी सेना को सुला दिया। इसके बाद राम-लक्ष्मण को बंधक बनाकर पाताल लोक में लेकर चला गया। विभीषण को होश आते ही वे अहिरावण की सारी चाल समझ गया और उन्होंने हनुमान जी को पाताल लोक जाने को कहा।
इसके बाद हनुमान जी श्री राम और लक्ष्मण की तालाश में पाताललोक पहुंच गए। पाताल में पहुंच कर हनुमान जी ने सबसे पहले मकरध्वज को हराया और फिर अहिरावण के पास जा पहुंचे। अहिरावण को वरदान मिला हुआ था कि उसके द्वारा जलाए 5 दीप को जो एक बार में बुझा देगा वही उसका वध कर पाएगा। इसी का फायदा उठाते हुए अहिरावण ने 5 दिशाओं में दीए जला दिए। ये परिस्थिति देख हनुमान ने पंचमुखी रूप धारण किया और एक साथ 5 दीये बूझा दिए। और अहिरावण का वध कर दिया। तभी से ही हनुमान के पंचमुख की पूजा की जाने लगी। रामायण के मुताबिक हनुमान जी के प्रत्येक मुख में त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंख और दो भुजाएं हैं। यह पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप है। पैरिणिक कथा के मुताबिक हनुमान के पांच मुख का अवतार भक्तों के कल्याण के लिए हुआ है। पश्चिम दिशा की ओर वाला मुख गरुड का हैं जो भक्तिप्रद, संकट, विघ्न-बाधा निवारक माने जाते हैं। गरुड की तरह हनुमानजी भी अजर-अमर माने जाते हैं।
बजरंग बलि का उत्तर दिशा वाला मुख शूकर का है और इनकी आराधना करने से अपार धन-सम्पत्ति,ऐश्वर्य, यश, दिर्धायु और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। अतः दक्षिणमुखी स्वरूप भगवान नृसिंह का है जो भक्तों के भय, चिंता, परेशानी को दूर करता हैं।
हनुमान जी के पंचमुखी अवतार के पीछे एक कथा है जिसके मुताबिक राम के साथ युद्ध के समय रावण को अपनी हार का आभास होते ही उन्होंने अपने भाई भाई अहिरावण से मदद मांगी। रावण की मदद मांगने पर अहिरावण ने एक जाल बुना और अपने माया जाल से सारी सेना को सुला दिया। इसके बाद राम-लक्ष्मण को बंधक बनाकर पाताल लोक में लेकर चला गया। विभीषण को होश आते ही वे अहिरावण की सारी चाल समझ गया और उन्होंने हनुमान जी को पाताल लोक जाने को कहा।
इसके बाद हनुमान जी श्री राम और लक्ष्मण की तालाश में पाताललोक पहुंच गए। पाताल में पहुंच कर हनुमान जी ने सबसे पहले मकरध्वज को हराया और फिर अहिरावण के पास जा पहुंचे। अहिरावण को वरदान मिला हुआ था कि उसके द्वारा जलाए 5 दीप को जो एक बार में बुझा देगा वही उसका वध कर पाएगा। इसी का फायदा उठाते हुए अहिरावण ने 5 दिशाओं में दीए जला दिए। ये परिस्थिति देख हनुमान ने पंचमुखी रूप धारण किया और एक साथ 5 दीये बूझा दिए। और अहिरावण का वध कर दिया। तभी से ही हनुमान के पंचमुख की पूजा की जाने लगी।
पंचमुखी हनुमान के स्वरूप
बजरंगबली के पंचमुखी स्वरूप में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, पूर्व में हनुमान मुख और आकाश की तरफ हयग्रीव (अश्व) मुख है।
हयग्रीव, जिसे हयाग्रीव भी कहा जाता है (घोड़े की गर्दन वाला) एक हिंदू देवता है, जो विष्णु का घोड़े के सिर वाला अवतार है। इस अवतार का उद्देश्य हयग्रीव (कश्यप और दनु के वंशज) नाम के एक दानव का वध करना था, जिसकी गर्दन घोड़े की तरह और शरीर मानव का था।
हनुमान जी ने तत्काल पंचमुखी रूप धारण कर लिया। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख।