हनुमान जी को सिद्ध करने का विधान - हनुमानमंत्र चमत्कारानुष्ठान पद्धति
Hanumaan jee Ko Siddh Karane Ka Vidhaan
हनुमान जी को सिद्ध करने का विधान - हनुमानमंत्र चमत्कारानुष्ठान पद्धति
हनुमानमंत्र चमत्कारानुष्ठान पद्धति नामक पुस्तिका में 20 मंत्र दिए गए हैं । प्रत्येक मंत्र का ग्यारह ग्यारह हजार बार रुद्राक्ष की माला पर हनुमानजी के किसी भी प्राचीन मन्दिर में ब्रह्मचर्यपूर्वक जप करने से सभी मन्त्र सिद्ध हो जाते हैं। मन्त्रों को सिद्ध कर लेने के पश्चात् उनका प्रयोग करने पर कठिन-से-कठिन कार्य आसानी से सिद्ध हो जाते हैं।
हनुमन्मंत्र चमत्कारानुष्ठान पद्धति के मन्त्रों की अनुष्ठान विधि -
शुभ मुहूर्त में जैसे रामनवमी, नवरात्रा आदि में इस पद्धति के प्रत्येक बीस मन्त्रों को अलग-अलग ग्यारह-ग्यारह हजार बार जप करके सिद्ध कर लेना चाहिये। तत्पश्चात् आवश्यकता पड़ने पर मनुष्य को स्वयं अपने अथवा दूसरे के कार्य के लिये 'हनुमन्मन्त्रचमत्कारानुष्ठान- पद्धति के प्रत्येक मन्त्र का ग्यारह ग्यारह हजार जप करके पीछे प्रत्येक मन्त्र का दशांश ग्यारह सौ (1100 ) हवन कराना चाहिये।
न्यास
ॐ ह्रां अञ्जनीसुताय अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रीं रुद्रमूर्तये तर्जनीभ्यां नमः ।
ॐ हूं रामदूताय मध्यमाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रैं वायुपुत्राय अनामिकाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रौं अग्निगर्भाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रः ब्रह्मास्त्र- निवारणाय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ अञ्जनीसुताय हृदयाय नमः ।
ॐ रुद्रमूर्तये शिरसे स्वाहा। ॐ रामदूताय शिखायै वषट् ।
ॐ वायुपुत्राय कवचाय हुम् ।
ॐ अग्निगर्भाय नेत्रत्रयाय वौषट् । ॐ ब्रह्मास्त्रनिवारणाय अस्त्राय फट् ।।
ध्यान
ध्यायेद् बालदिवाकरद्युतिनिभं देवारिदर्पापहं
देवेन्द्रप्रमुखं प्रशस्तयशसं देदीप्यमानं रुचा ।
सुग्रीवादिसमस्तवानरयुतं सुव्यक्ततत्त्वप्रियं
संरक्तारुणलोचनं पवनजं पीताम्बरालंकृतम् ॥
ध्यान का हिंदी भावार्थ -
प्रातःकालीन सूर्यके सदृश जिनकी शरीर-कान्ति है, जो राक्षसों का अभिमान दूर करनेवाले, देवताओं में एक प्रमुख देवता, लोकविख्यात यशस्वी और अपनी असाधारण शोभा से देदीप्यमान हो रहे है, सुग्रीव आदि सभी वानर जिनके साथ हैं, जो सुव्यक्त तत्त्व के प्रेमी हैं , जिनकी आँखे अतिशय लाल-लाल है और जो पीले वस्त्रों से अलंकृत हैं, उन पवनपुत्र श्रीहनुमानजी- का ध्यान करना चाहिये।
हनुमन्मन्त्रचमत्कारानुष्ठान- पद्धति के बीस मंत्र निम्न हैं -
1 . ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय वायुसुताय अञ्जनी- गर्भसम्भूताय अखण्डब्रह्मचर्यव्रतपालनतत्पराय धवली- कृतजगत्त्रितयाय ज्वलदग्निसूर्यकोटिसमप्रभाय प्रकट- पराक्रमाय आक्रान्तदिमण्डलाय यशोवितानाय यशोऽलं- - कृताय शोभिताननाय महासामर्थ्याय महातेजःपुञ्ज- विराजमानाय श्रीरामभक्तितत्पराय श्रीरामलक्ष्मणानन्द- कारणाय कपिसैन्यप्राकाराय सुग्रीवसख्यकारणाय सुग्रीवसाहाय्यकारणाय ब्रह्मास्त्रब्रह्मशक्तिग्रसनाय लक्ष्मण- शक्तिभेदनिवारणाय शल्यविशल्यौषधिसमानयनाय बालोदितभानुमण्डलग्रसनाय अक्षकुमारच्छेदनाय वनरक्षाकरसमूहविभञ्जनाय द्रोणपर्वतोत्पाटनाय स्वामिवचनसम्पादितार्जुनसंयुगसंग्रामाय गम्भीरशब्दोदयाय दक्षिणाशामार्तण्डाय मेरुपर्वतपीठिकार्चनाय दावानलकालाग्निरुद्राय समुद्रलङ्घनाय सीताऽऽश्वासनाय सीतारक्षकाय राक्षसीसंघविदारणाय अशोकवनविदारणाय लङ्कापुरीदहनाय दशग्रीवशिरः कृन्तकाय कुम्भकर्णादि- वधकारणत्य वालिनिबर्हणकारणाय मेघनादहोम- विध्वंसनाय इन्द्रजिद्वधकारणाय सर्वशास्त्रपारंगताय सर्वप्रहविनाशकाय सर्वजारहराय सर्वभयनिवारणाय सर्वापत्तिनिवारणाय सर्वकष्टनिवारणाय सर्वदुष्टादिनिबर्हणाय सर्वशत्रुच्छेदनाय भूतप्रेतपिशाच- डाकिनीशाकिनीध्वंसकाय सर्वकार्यसाधकाय प्राणिमात्ररक्षकाय रामदूताय स्वाहा ।
2 . ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित- विक्रमाय प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा ।
3. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय राम- भक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्तिभेदनिवारणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा।
4. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
5. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय आध्यात्मिकाधि- दैविकाधिभौतिकतापत्रयनिवारणाय रामदूताय स्वाहा।
6. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय देवदानवर्षिमुनि वरदाय रामदूताय स्वाहा।
7. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमनः कल्पना कल्पद्रुमाय दुष्टमनोरथस्तम्भनाय प्रभञ्जनप्राणप्रियाय महावलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय पुत्रपौत्रधनधान्यादि- विविधसम्पत्प्रदाय रामदूताय स्वाहा ।
8. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रमुखाय वज्ररोम्णे वज्रनेत्राय वज्रदन्ताय बज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा।
9. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय परयन्त्रमन्त्रतन्त्र- त्राटकनाशकाय सर्वज्वरच्छेदकाय सर्वव्याधिनिकृन्तकाय सर्वभयप्रशमनाय सर्वदुष्टमुख स्तम्भनाय सर्वकार्य सिद्धिप्रदाय रामदूताय स्वाहा।
10. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय देवदानवयक्षराक्षस- भूतप्रेतपिशाचडाकिनीशाकिनी दुष्टग्रह बन्धनाय रामदूताय स्वाहा।
11. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय पञ्चवदनाय पूर्वमुखे सकलशत्रुसंहारकाय रामदूताय स्वाहा ।
12. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय पञ्चवदनाय दक्षिणमुखे करालवदनाय नारसिंहाय सकलभूतप्रेतदमनाय रामदूताय स्वाहा ।
13. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय पञ्चवदनाय पश्चिम- मुखे गरुडाय सकलविघ्ननिवारणाय रामदूताय स्वाहा।
14. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय पञ्चवदनाय उत्तर-मुखे आदिवराहाय सकलसम्पत्कराय रामदूताय स्वाहा।
15. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय ऊर्ध्वमुखे हयग्रीवाय सकलजनवशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
16. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वग्रहान् भूत- भविष्यवर्तमानान् समीपस्थान् सर्वकालदुष्टबुद्धी- नुच्चाटयोच्चाटय परबलानि क्षोभय क्षोभय मम सर्वकार्याणि साधय साधय स्वाहा।
17. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय परकृतयन्त्रमन्त्र पराहंकारभूतप्रेतपिशाचपरदृष्टि सर्वविध्नतर्जनचेटकविद्यासर्व- ग्रहभयं निवारय निवारय स्वाहा।
18. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय डाकिनीशाकिनी- ब्रह्मराक्षसकुलपिशाचोरुभयं निवारय निवारय स्वाहा।
19. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय भूतज्वरप्रेतज्वर- चातुर्थिकज्वरविष्णुज्वरमहेशज्वरं निवारय निवारण स्वाहा।
20. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय अक्षिशूलपक्षशुल- शिरोऽभ्यन्तरशूलपित्तशूलब्रह्मराक्षसशुलपिशाचकुलच्छेदनं निवारय निवारय स्वाहा।