श्री हनुमान बंधन मुक्ति मंत्र
Method of use of Hanuman Vyapar Vriddhi Mantra
श्री हनुमान बंधन मुक्ति मंत्र
श्री हनुमान बंधन मुक्ति मंत्र का कितना जप करना चाहिए ?
श्री हनुमान बंधन मुक्ति मंत्र का प्रयोग कैद से छूटने के लिए किया जाता है। श्री हनुमान बंधन मुक्ति मंत्र के ईश्वर ऋषि, अनुष्ट्प छंद और श्रृंखलामोचक श्री हनुमान जी देवता हैं, "हम्" बीज और "स्वाहा" शक्ति है। पुरश्चरण पद्धति से एक लाख जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। जप के बाद दशांश हवन आम्र पल्लवों से करें। यदि साधक किसी कारण से कारावास में बंद कर दिया जाता है, तो स्वयं के लिए दस हजार जप करें, कारावास से मुक्ति मिल जाएगी। साधक यह प्रयोग स्वयं के साथ-साथ अन्यों के लिए भी कर सकता है।
जब कोई व्यक्ति निर्दोष होते हुए भी कारावास (जेल) में डाल दिया जाए, तो उसे चाहिए कि नीचे दिए गये मंत्र को अपने दाहिने हाथ की उंगली से बाएं हाथ की हथेली पर लिखे और मिटा दे। यह क्रम 108 बार करे। यदि लगातार सात दिनों तक यह क्रिया कर ली जाए, तो 21 दिन में ही उसे कारावास से मुक्ति मिल जाएगी।
श्री हनुमान बंधन मुक्ति मंत्र न्यास
ॐ ह्रां अञ्जनीसुताय अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रीं रुद्रमूर्तये तर्जनीभ्यां नमः ।
ॐ हूं रामदूताय मध्यमाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रैं वायुपुत्राय अनामिकाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रौं अग्निगर्भाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
ॐ ह्रः ब्रह्मास्त्र- निवारणाय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ अञ्जनीसुताय हृदयाय नमः ।
ॐ रुद्रमूर्तये शिरसे स्वाहा। ॐ रामदूताय शिखायै वषट् ।
ॐ वायुपुत्राय कवचाय हुम् ।
ॐ अग्निगर्भाय नेत्रत्रयाय वौषट् । ॐ ब्रह्मास्त्रनिवारणाय अस्त्राय फट् ।।
श्री हनुमान बंधन मुक्ति मंत्र ध्यान
ध्यायेद् बालदिवाकरद्युतिनिभं देवारिदर्पापहं
देवेन्द्रप्रमुखं प्रशस्तयशसं देदीप्यमानं रुचा ।
सुग्रीवादिसमस्तवानरयुतं सुव्यक्ततत्त्वप्रियं
संरक्तारुणलोचनं पवनजं पीताम्बरालंकृतम् ॥
ध्यान का हिंदी भावार्थ -
प्रातःकालीन सूर्यके सदृश जिनकी शरीर-कान्ति है, जो राक्षसों का अभिमान दूर करनेवाले, देवताओं में एक प्रमुख देवता, लोकविख्यात यशस्वी और अपनी असाधारण शोभा से देदीप्यमान हो रहे है, सुग्रीव आदि सभी वानर जिनके साथ हैं, जो सुव्यक्त तत्त्व के प्रेमी हैं , जिनकी आँखे अतिशय लाल-लाल है और जो पीले वस्त्रों से अलंकृत हैं, उन पवनपुत्र श्रीहनुमानजी- का ध्यान करना चाहिये।
श्री हनुमान बंधन मुक्ति मंत्र
ओम् नमो भगवते आंजनेयाय अमुकस्य श्रृंखलां
त्रोटय त्रोटय बंध मोक्षं कुरु कुरु स्वाहा।
उपरोक्त मंत्र में अमुकस्य के स्थान पर जिस व्यक्ति के लिए कर रहा है उस व्यक्ति का नाम लेना चाहिए।