श्री हनुमान वंदना स्तोत्र
Shri Hanuman Vandana Stotra
श्री हनुमान वंदना स्तोत्र
गोस्वामी तुलसीदासजी ने हनुमान जी की वन्दना का यह स्तोत्र विनय पत्रिका में लिखा है।
श्री हनुमान वंदना स्तोत्र
जयति वातसंजात विख्यात विक्रम
वृहद्वाहु बल विपुल बालधि विसाला ॥
जातरूपाचलाकार विग्रह लसल्लोल
विद्युल्लता ज्वालमाला ॥
जयति बालार्कवरदन पिंगलनयन
कपीश कर्कश जटाजूटधारी।
विकट भ्रकुटी वज्रदर्शन नख
वैरि मदमत्त कंजर पुंज कुंजरारी ॥
जयति भीमार्जुन व्याल सूदन
गर्वहर धनंजय स्थत्राण केतू।
भीष्म द्रोण कर्णादि पालित
कालदृक् सुबोधन चमू निधन हेतू ॥
जयति गतराजदातार हंतार
संसार संकट दनुज दर्पहारी॥
ईति अतिभीति ग्रह प्रेत चौरानल
व्याधि बाधा शमन घोर मारी ॥
जयति निगमागम व्याकरण करणलिपि
काव्य कौतुक कला-कोटि सिंधो॥
सामगायक भक्तकामदायक वामदेव
श्रीराम प्रिय प्रेम बंधी ॥
जयति धर्मांशु संदग्ध संपाति
नवपाक्ष लोचन दिव्य देह दाता ॥
कालकलि पासंताप संकुल सदा
प्रणत तुलसीदास तात माता ॥