श्री हनुमान सिद्धि हेतु साधन एवं रीति
Means and method for attaining Shri Hanuman siddhi
श्री हनुमान सिद्धि हेतु साधन एवं रीति
हनुमान जी को सिद्ध करने के अनुष्ठान का विधि विधान -
हनुमान जी को सिद्ध करने का अनुष्ठान चाहे जिस विधि-विधान से आरम्भ हो, चाहे वह पंचोपचार हो या षोडशोपचार, उसी विधि से समाप्त करना चाहिए। समयानुसार पूजन विधान को छोटा या बड़ा नहीं कर लेना चाहिए। जप दोनों कालों प्रातः एवं शाम में किया जा सकता है। विशेष अनुष्ठान में रात्रि का भी उपयोग किया जाता है।
बजरंग बली की साधना मंगल या शनिवार या रामनवमी या हनुमानजयंती को शुरू करना चाहिए। ग्रहणकाल में शुरू की गई साधना भी बहुत फलदायक है।
हनुमान जी की सिद्धि करते समय पवित्रता और सात्त्विकता का विशेष ध्यान देना अनिवार्य है। हनुमत् सिद्धि के दिनों में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन नितांत आवश्यक होता है, जो साधना की मुख्य धुरी है। हनुमत् सिद्धि के अनुष्ठान में साधक पूर्व या उत्तराभिमुख हो लाल आसन पर बैठें। हनुमान सिद्धि के लिए 'मूंगे की माला' का प्रयोग करना चाहिए। हनुमान सिद्धिकी ओर मुंह करके में लाल आसन पर बैठें, लाल धोती एवं लाल चादर का प्रयोग करें। दीपक घी का या तेल का जलाते रहना चाहिए। अनुष्ठान की समाप्ति तक एक समय भोजन करना चाहिये। इन दिनों में नैवेद्य के रूप में हनुमत् मूर्ति को भोग लगाते हुए नैवेद्य की ही भोजन के रूप में ग्रहण करना चाहिए।
हनुमान जी के विग्रह (मूर्ति) लिए का विधान -
हनुमान जी के विग्रह (मूर्ति) पर तिल के तेल में सिन्दूर मिला कर चोला चढ़ाना चाहिए। हनुमान जी को रक्त चन्दन या केसर के साथ घिसा हुआ श्वेत चन्दन भी लगाने का विधान है।
हनुमान जी के लिए पुष्प अर्पित करने का नियम -
हनुमान जी को पुष्प अर्पित करने में लाल तथा पीले पुष्पों को चढ़ाने का विधान है। बड़े पुष्पों में कमल, सूर्यमुखी तथा हजारा पुष्पों को भी चढ़ाने का शास्त्रीय विधान है।
हनुमान जी के लिए नैवेद्य का नियम -
सिद्धि के लिए होने वाले अनुष्ठान में प्रयुक्त होने वाला नैवेद्य शुद्ध घी में बना होना चाहिए। हनुमान जी को प्रातः गुड़ एवं नारियल का गोला, दोपहर में गुड़, घी, गेहूँ की रोटी का चूरमा एवं रात्रि में आम, अमरूद एवं केला नैवेद्य के रूप में अर्पित करना चाहिए।
हनुमान जी के लिए आरती का नियम -
हनुमान आरती में देशी घी का दीपक 'एक बत्ती', 'पांच बत्ती' या 'सात बत्ती' का लगाना चाहिए।
हनुमान जी को सिद्ध करने के अनुष्ठान में यंत्र-पूजन
साधक पूर्व या उत्तराभिमुख हो लाल आसन पर बैठें, लाल धोती पहन कर ऊपर लाल उत्तरीय ओढ़ लें, अपने सामने छोटी चौकी पर लाल वस्त्र बिछा दें, तांबे या स्टील की प्लेट पर यंत्र स्थापित करें और षोडशोपचार पूजन के बाद यंत्र पूजन आरम्भ करें-
दायें हाथ में जल लेकर निम्न संदर्भ का उच्चारण करें-
ॐ अस्य हनुमत् मन्त्रस्य ईश्वर ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, हनुमान देवता, हुँ बीजम्, स्वाहा शक्तिः सकलाभीष्ट सिद्धये जपे विनियोगः ।
हनुमान जी को सिद्ध करने के अनुष्ठान का ऋष्यादि न्यास -
निम्न संदर्भों का उच्चारण करते हुए दाहिने हाथ से निर्दिष्ट अंगों को स्पर्श करें-
ॐ ईश्वर ऋषये नमः शिरसि ।
अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे ।
हनुमान देवताये नमः हृदि।
हूं बीजाय नमः गुहो।
स्वाहा शक्तयेः नमः पादयोः ।
विनियोगाय नमः सर्वांगे।
हनुमान जी को सिद्ध करने के अनुष्ठान का करन्यास -
ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः ।
ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः ।
ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः ।
ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः ।
ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
ह्रः करतल कर पृष्ठाभ्यां नमः ।
हनुमान जी को सिद्ध करने के अनुष्ठान का अंग न्यास -
ह्रां हृदयाय नमः ।
ह्री शिरसे स्वाहा।
ह्रूं शिखायै वौषट् ।
ह्रैं कवचाय हुम्।
ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् ।
ह्रः अस्वाय फट् ।
हनुमान जी को सिद्ध करने के अनुष्ठान का वर्ण व्यास -
अं आं इं ईं उं ऊं ऋं लृं लूं नमः ।
एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं ङं नमः।
चं छं जं झं ञं टं ठं डं डं ढं मं नमः।
तं थं दं धं नं पं फं बं भं मं नमः।
यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं नमः।
हनुमान जी को सिद्ध करने के अनुष्ठान का ध्यान -
दोनों हाथ जोड़ कर ध्यान करें-
ॐ दहन तप्त सुवर्ण समप्रभं,
भयहरं हृदये विहितांजलिम्।
श्रवण कुण्डलशोभिमुखांबुजे, नमत वानरराजमिहाद्भुतम् ।।
इसके पश्चात् लाल हकीक माला या मूंगा माल से एक माला मूल मंत्र का जाप करें -
ॐ ह्रीं हस्फ्रें ख्फ्रें हस्त्रौं हस्ख्फें हसौं ॐ ॥