Bhagavatee stuti भगवती दुर्गा स्तुति Bhagavati stuti Praise of Bhagwati
भगवतीस्तुतिः हिंदी अर्थ के साथ
भगवती (दुर्गा) की स्तुति - इस मंत्र के जाप से सभी कष्ट दूर होते हैं, मन शांत होता है।
Praise of Bhagwati (Durga) - By chanting to this mantra, all the troubles are removed, the mind becomes calm.
भगवतीस्तुतिः
प्रातः स्मरामि शरदिन्दुकरोज्ज्वलाभां
सद्रत्नवन्मकरकुण्डलहारभूषाम् ।
दिव्यायुधोर्जितसुनीलसहस्रहस्तां
रक्तोत्पलाभचरणां भवर्ती परेशाम् ॥
जिनकी अंगकान्ति शारदीय चन्द्रमा की किरण के समान उज्जवल है, जो उत्तम रत्नद्वारा निर्मित मकराकृति कुण्डल और हार से विभूषित हैं, जिनके गहरे नीले हजारों हाथ दिव्यायुधों से सम्पन्न हैं तथा जिनके चरण लाल कमल की कान्ति- सदृश अरुण हैं, ऐसी आप परमेश्वरी का मैं प्रात:काल स्मरण करता/करती हूँ।
प्रातर्नमामि महिषासुरचण्डमुण्ड
शुम्भासुरप्रमुखदैत्यविनाशदक्षाम् ।
ब्रह्मेन्द्ररुद्रमुनिमोहनशीललीलां
चण्डी समस्तसुरमूर्तिमनेकरूपाम् ॥
जो महिषासुर, चण्ड, मुण्ड, शुम्भासुर आदि प्रमुख दैत्यों का विनाश करने में निपुण हैं, लीलापूर्वक ब्रह्मा, इन्द्र, रुद्र और मुनियों को मोहित करने वाली हैं, समस्त देवताओं की मूर्तिस्वरूपा हैं तथा अनेक रूपों वाली हैं, उन चण्डी को मैं प्रात:काल नमस्कार करता/करती हूँ।
प्रातर्भजामि भजतामभिलाषदात्री
धात्रीं समस्तजगतां दुरितापहन्त्रीम् ।
संसारबन्धनविमोचनहेतुभूतां
माया परां समधिगम्य परस्य विष्णोः।।
जो भजन करने वाले भक्तों की अभिलाषा को पूर्ण करने वाली, समस्त जगत का धारण-पोषण करने वाली, पापों को नष्ट करने वाली, संसार बंधन के विमोचन की हेतुभूता तथा परमात्मा विष्णु की परा माया हैं, उनका ध्यान करके मैं प्रात:काल भजन करता/करती हूँ।
।।इति श्रीदेव्याः प्रातः स्मरणं संपूर्णम्।।
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