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दशावतार व्रत - भाद्रपद शुक्ल पक्ष दशमी तिथि

Dashavatara Vrat - Bhadrapada Shukla Paksha Dashami Tithi

विष्णु का ध्यान - पंचदेव पूजन विधि * विष्णुस्मरण * श्री विष्णु सहस्र नाम स्तोत्रम् * कृष्ण जन्माष्टमी * श्री राधाष्टमी * श्री राधाष्टकम * मधुराष्टकम् * युगलाष्टकम् * गोपाल सहस्त्रनाम पाठ * एकादशी * सम्पूर्ण एकादशी व्रत सूची * भगवान विष्णु के 108 नाम * ओम जय जगदीश हरे आरती * तुलसी विवाह व्रत * भीष्मपञ्चक व्रत * क्या एकादशी को तुलसी में जल देना चाहिए? * विष्णु के पूजन में चढ़ने वाले और न चढ़ने वाले पत्र-पुष्प * श्री विष्णु शत नामावलि (विष्णु पुराण) * विष्णुरूपा गायत्री का ध्यान * अनंत चतुर्दशी * दशावतार व्रत * सप्तश्लोकी गीता हिंदी अर्थ सहित * महाद्वादशी व्रत * हरि वासर और दूजी एकादशी क्या होता है? * विष्णु पुराण * पद्म पुराण * पापमोचिनी एकादशी * कामदा एकादशी * वरुथिनी एकादशी * मोहिनी एकादशी * अपरा एकादशी * निर्जला एकादशी * योगिनी एकादशी * देवशयनी एकादशी * कामिका एकादशी * पुत्रदा पवित्रा एकादशी * अजा अन्नदा एकादशी * इंदिरा एकादशी * पापांकुशा एकादशी * रमा एकादशी * देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी * उत्पन्ना एकादशी * मोक्षदा एकादशी * सफला एकादशी * पुत्रदा एकादशी * षटतिला एकादशी * जया एकादशी * विजया एकादशी * आमलकी एकादशी * परम एकादशी * पद्मिनी कमला एकादशी * त्रिस्पृशा एकादशी * मत्स्य द्वादशी व्रत - व्यञ्जनद्वादशी व्रत
 
Dashavatar

॥ श्रीहरिः ॥

दशावतार व्रत - भाद्रपद शुक्ल पक्ष दशमी तिथि - 13 सितंबर 2024

भविष्योत्तर पुराण के अनुसार दशावतार व्रत भाद्रपद शुक्ल दशमी को किया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि दशावतार व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। दशावतार व्रत पर भगवान विष्णु के मत्स्य, कूर्म, वाराह, नरसिंह, त्रिविक्रम, राम, कृष्ण, परशुराम, बौद्ध और कल्कि' इन दस अवतारों का यथाविधि पूजन पूजा- अर्चना की जाती है।

दशावतार व्रत पूजा विधि -

इस दिन किसी जलाशय पर जाकर स्नान करके देव और पितरों का तर्पण करे। दशावतार पूजन के लिए रोली, अक्षत, दीपक, पुष्प, माला, नारियल, नैवेद्य, कपूर, फल, गंगाजल, यज्ञोपवीत, कलश, तुलसी दल, श्वेत चंदन, हल्दी, पीत एवं श्वेत वस्त्र आदि सामग्री एकत्र करें और अपने हाथ से आटे की लगभग पाँच छटाक आटा लेकर उसके अपूप (पूआ) बनावे।

अब भगवान विष्णु का स्मरण करें। विष्णु जी की मूर्ति के समक्ष दीपक जलाएं। अब सभी सामग्रियों से विष्णु जी का पंचोपचार पूजन करें और 'मत्स्य, कूर्म, वाराह, नरसिंह, त्रिविक्रम, राम, कृष्ण, परशुराम, बौद्ध और कल्कि' इन दस अवतारों का यथाविधि पूजन करे और अपूपादि का भोग लगाकर उनमें से दस देवता के, दस ब्राह्मण के और दस अपने रखकर भोजन करे। इस प्रकार दस वर्ष तक करे। १- अपूप, २- घेवर, ३- कासार, ४- मोदक, ५- सुहाल, ६- सकरपारे, ७- डोवठे, ८- गुणा, ९- कोकर और १०- पुष्पकर्ण - इन दस पदार्थों में से प्रतिवर्ष एक-एक पदार्थ देवता आदि को दस-दस की संख्या में अर्पण करे तो विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।

दशावतार व्रत के दिन विष्णु मंत्र जाप, विष्णु सहस्रनाम, कीर्तन, स्मरण, दर्शन, विष्णु स्तोत्र आदि का पाठ करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही दशावतार व्रत के दिन विष्णु जी की कथाओं का स्मरण करने का विशेष महत्व है।

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