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कामदा एकादशी चैत्र माह शुक्ल पक्ष - Kamada Ekadashi

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कामदा एकादशी चैत्र माह शुक्ल

कामदा एकादशी चैत्र माह शुक्ल पक्ष - Kamada Ekadashi

19 अप्रैल, 2024, शुक्रवार को चैत्र कामदा एकादशी है।


आलेख - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

कामदा एकादशी व्रत की शुरुआत

19 अप्रैल, 2024, शुक्रवार को चैत्र कामदा एकादशी है। एकादशी 18 अप्रैल, को शाम 5 बजकर 31 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 19 अप्रैल को रात्रि 8 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगा। उदया तिथि से 19 अप्रैल, 2024, शुक्रवार को चैत्र कामदा एकादशी है।

कामदा एकादशी व्रत का पारण

कामदा एकादशी व्रत (स्मार्त ) का पारण अगले दिन 20 अप्रैल 2024 को सुबह 5 बजकर 50 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट के बीच होगा।

कामदा एकादशी किसे कहते हैं ? कामदा एकादशी क्यों मनाई जाती है?

वराह पुराण में भगवान् श्रीकृष्ण और महाराज युधिष्ठिर के संवाद में कामदा एकादशी का महात्म्य कहा गया है।

महाराज युधिष्ठिर श्रीकृष्ण को कहने लगे, "हे यदुवर, कृपया मेरा प्रणाम स्वीकार करे। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का वर्णन करे। इस व्रत की विधी और उसका पालन करने से होने वाले लाभ का वर्णन करें।"

भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा, "प्रिय युधिष्ठिर महाराज ! पुराणों में वर्णित एकादशी का महात्म्य सुनो। एक बार प्रभु रामचंद्र के पितामह महाराज दिलीप ने अपने गुरू वसिष्ठ को यही प्रश्न पूछा था।"

वसिष्ठजी ने कहा, "हे राजन् ! निश्चित आपकी इच्छा पूर्ण करूँगा। इस एकादशी को 'कामदा' कहते है। इस व्रत के पालन से सभी पाप जलकर भस्म हो जाते हैं और व्रत के पालन करने वाले को पुत्रप्राप्ति होती है।"

कामदा एकादशी कथा

बहुत वर्ष पहले रत्नपुर (भोगीपुर) राज्य में पुण्डरीक राजा अपनी प्रजा गंधर्व, किन्नर के साथ रहते थे। उसी राज्य में अप्सरा ललिता अपने गंधर्व पति ललित के साथ रहती थी। उनका एक दूसरे पर बहुत प्रेम था। प्रेम इतना प्रगाढ था कि, एक क्षण भी एक दूसरे के बगैर वे नहीं रहते।

एक बार पुण्डरीक राजा की सभा में सब गंधर्व नृत्य और गायन करे रहे थे। उसमें ललित गंधर्व भी था। पत्नि सभा में न होने के कारण उसका नृत्य और गायन ताल में नही था। वहा प्रेक्षकों में कर्कोटक नाम का सर्प भी था। उसने ललित के विसंगत नृत्य और गायन का रहस्य जाना और राजा को उसी प्रकार बताया। राजा बहुत क्रोधित हुए उन्होंने ललित को शाप दिया, "हे पापात्मा ! अपने स्त्रीपति कामासक्ती के कारण तुमने नृत्यसभा में विसंगती निर्माण की है। इसलिए मैं तुम्हे नरभक्षक बनने का शाप देता हूँ !"

पुण्डरीक से शाप मिलते ही ललित को भयंकर नरभक्षक राक्षस का रूप मिला। अपने पति का भयानक रूप देखकर ललिता को बहुत दुःख हुआ। फिर भी सभी मर्यादायें छोड़कर वह अपने पति के साथ वन में रहने लगी।

वन में भ्रमण करते हुए विंध्य पर्वत के शिखर पर पवित्र शृंगी ऋषी का आश्रम ललिता ने देखा और तुरंत आश्रम में जाकर ऋषी के सामने उसने प्रणाम किया।

उसे देखकर श्रृंगी ऋषी ने पूछा, "तुम कौन हो ? तुम्हारे पिता कौन है? तुम यहाँ किस कारण से आयी हो?" ललिता ने कहा, "हे ऋषीवर ! मैं ललिता, वृंदावन गंधर्व की कन्या हूँ। अपने शापित पति के साथ मैं यहाँ आयी हूँ। गंधर्व राजा पुण्डरीक के शाप से मेरे पति राक्षस बने है। उनका यह रूप देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा है। कृपया इस शाप से मुक्ति मिलने का उपाय कथन करें जिस प्रायश्चितसे मेरे पति की राक्षसी योनी से मुक्तता हो।"

ललिताकी नम्र विनंती सुनकर शृंगी ऋषीने कहा, "हे गंधर्वकन्या ! कुछ ही दिनों में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी आएगी। इस व्रत का तुम कठोर पालन करो और तुम्हे मिलनेवाला सभी पुण्य अपने पति को अर्पण करो। जिससे वह इस शाप से मुक्त हो जाएंगे। ये एकादशी सभी इच्छा पूर्ण करनेवाली है।"

"हे राजन! ऋषी के कहेनुसार ललिता ने आनंदपूर्वक और कठोरता से इस व्रत का पालन किया। द्वादशी के दिन भगवान् वासुदेव और ब्राह्मणों के समक्ष उसने कहा, "मैंने अपने पति की शाप से मुक्तता कराने के लिए इसका पालन किया है। इस व्रत के प्रभाव से मेरे पति शापमुक्त हो जाएँ।" और क्या आश्चर्य नरभक्षक ललित पुनः गंधर्व बना। उसके बाद ललिता और ललित सुखसे रहने लगे।

भगवान् श्रीकृष्णने कहा, "हे युधिष्ठिर महाराज ! हे राजेश्वर ! जो कोई भी इस अद्भुत कथा का श्रवण करेगा और अपनी क्षमता के साथ इसका पालन करेगा वह ब्रह्महत्या के पातक से और आसुरी शापसे मुक्त हो जाएगा।"

कामदा एकादशी पूजन विधि (Kamada Ekadashi pujan vidhi)

अन्य एकादशी की तरह इस व्रत का धार्मिक कर्म भी दशमी से शुरू हो जाता हैं। दशमी के दिन घर में पूजा-पाठ करें और दोपहर में नदी में तर्पण की विधि करें। ब्राह्मण भोज कराएं और उसके बाद स्वयं भी भोजन ग्रहण करें। याद रखें दशमी पर सूर्यास्त के बाद भोजन न करें। एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान करें। व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी को पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद परिवार के साथ मिलकर भोजन करें।

कुछ भक्त केवल अनाज और चावल से बने भोजन से परहेज करके आंशिक उपवास भी रखते हैं। इस व्रत के पालनकर्ता को पूजा अनुष्ठान समाप्त करने के बाद कामदा एकादशी व्रत कथा भी सुननी चाहिए।

कामदा एकादशी के दिन भक्त पूरी रात जागते हैं और भगवान विष्णु के नाम पर भजन और कीर्तन करते हैं।

कामदा एकादशी व्रत क्यों करते हैं? कामदा एकादशी व्रत से लाभ -

कामदा एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को अनंत धन और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। हिंदू किंवदंतियों के अनुसार उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा और पुनर्जन्म के निरंतर चक्र से मुक्ति मिलेगी। भक्तों को उनके वर्तमान या पिछले जीवन में जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाएगी।

कामदा एकादशी को क्या क्या खाना चाहिए ? कामदा एकादशी को खाने के पदार्थ :-

1. सभी प्रकारके फल, मूंगफली, मूंगफली का तेल।

2. आलू, नारियल, शक्कर, गुड, दूधसे बनाई वस्तुएँ ।

कामदा एकादशी को क्या क्या नहीं खाना चाहिए ?

एकादशी को इस पदार्थों का खाना वर्जित है -

1. टमाटर, बैंगन, फूलगोभी,

2. हरी सब्जियाँ,

3. चावल, गेहूँ, ज्वार, दाल, मक्का इत्यादि,

4. बेकिंग सोडा, बेकिंग पावडर, कस्टर्ड,

5. दुकान के आलू वेफर्स, तली हुई मुँगफली इत्यादि,

6. शहद पूरी तरह से वर्जित

कामदा एकादशी को क्या क्या मसाले उपयोग में लाए जा सकते हैं ?

कामदा एकादशी को मसाले में अदरक, सैंधा नमक, काली मिर्च इत्यादि उपयोग में लाए जा सकते हैं।

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