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इंदिरा एकादशी - कृष्णैकादशी - आश्विन कृष्ण एकादशी

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इंदिरा एकादशी कृष्णैकादशी -आश्विन कृष्ण एकादशी

इंदिरा एकादशी - कृष्णैकादशी -आश्विन कृष्ण एकादशी

इंदिरा एकादशी - 28 सितंबर 2024 सर्वत्र और वैष्णव जनों का भी।


आलेख - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

आश्विन कृष्ण एकादशी का नाम 'इन्दिरा' है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान् श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर महाराज के संवादों में इंदिरा एकादशी के महात्म्य का वर्णन है। ये एकादशी पितृपक्ष के दौरान आती है इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। हिंदू धर्म में इस बात का उल्लेख है की इस दिन व्रत से पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम की पूजा की जाती है। इसके व्रत से सब प्रकार के पाप दूर होते हैं। इसके निमित्त प्रातः स्नानादि करके उपवास करे और हरिस्मरण में लगे रहकर रात भर जगे।

इंदिरा एकादशी पूजन विधि (Indira Ekadashi 2023 pujan vidhi)

अन्य एकादशी की तरह इस व्रत का धार्मिक कर्म भी दशमी से शुरू हो जाता हैं। दशमी के दिन घर में पूजा-पाठ करें और दोपहर में नदी में तर्पण की विधि करें। श्राद्ध की तर्पण विधि के पश्चात ब्राह्मण भोज कराएं और उसके बाद स्वयं भी भोजन ग्रहण करें। याद रखें दशमी पर सूर्यास्त के बाद भोजन न करें। एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान करें। एकादशी पर श्राद्ध विधि करें एवं ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके बाद गाय, कौवे और कुत्ते को भी भोजन दें। व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी को पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद परिवार के साथ मिलकर भोजन करें। यदि इस दिन पिता आदि का श्राद्ध हो और उपवास के कारण श्राद्धीय अन्न ग्रहण करने में संकोच हो तो उसे सूँघकर गौ को खिला दे और पश्चात् भोजन करे।

इंदिरा एकादशी व्रत की शुरुआत

काशी पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी की शुरुआत 27 सितम्बर 2024 को शाम 4 बजकर 22 मिनट पर होगी और 28 सितम्बर 2024 को शाम में 4 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत 28 सितम्बर 2024 को ही रखा जाएगा।

इंदिरा एकादशी व्रत का पारण

इंदिरा एकादशी व्रत का पारण अगले दिन 11 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 39 मिनट के बीच होगा।

इंदिरा एकादशी व्रत क्यों करते हैं? इंदिरा एकादशी व्रत से लाभ -

१. पितरों को संतुष्ट करने के लिए -

शास्त्रों के अनुसार इंदिरा एकादशी पर गया में नदी किनारे तर्पण करने से 7 पीढि़यों के पितर संतुष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही पितृ दोष भी समाप्त हो जाता है।

२. दरिद्रता से मुक्ति पाने के लिए -

दरिद्रता से मुक्ति पाना है तो इंदिरा एकादशी के दिन घर में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। कहते हैं इससे परिवार में क्लेश नहीं होते। संपत्ति के कार्य में सफलता मिलती है।

३. वंश वृद्धि के लिए -

वंश वृद्धि के लिए इंदिरा एकादशी पर दोपहर में पीपल के पेड़ की पूजा करें। परिक्रमा लगाएं और फिर शाम को पीपल के नीचे दीपक लगाकर पितृ सूक्त का पाठ करें। कहते हैं इससे संतान प्राप्त में परेशानी नहीं आती।

४. शादीशुदा जिंदगी में फिर से खुशियां लाने के लिए -

वैवाहिक जीवन में तनाव की स्थिति है, पति-पत्नी के बीच झगड़े हो रहे हैं तो इंदिरा एकादशी पर पीला अनाज, फल मंदिर में दान दें। इससे शादीशुदा जिंदगी में फिर से खुशियां लौट आएंगी।

५. घर में सुख-शांति एवं सौभाग्य के लिए -

इंदिरा एकादशी पर सूर्यास्त के समय तुलसी के समक्ष घी का दीपक लगाकर ॐ वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें। मान्यता है इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है। घर में सुख-शांति का माहौल बना रहता है।

इंदिरा एकादशी व्रत कथा ( पूजा में श्रवण हेतु - कथा )

युधिष्ठिर महाराजने पूछा, "हे मधुसूदन ! आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आनेवाली एकादशी का नाम क्या है ? उसे पालन करने की विधि क्या है? इस व्रतसे क्या फलप्राप्ति होती है ? कृपया विस्तारसे वर्णन करे।"

भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा, "इस एकादशी का नाम 'इंदिरा' है। इस व्रत के पालन से पतित पितरों का उद्धार होता है और व्यक्ति सभी पापोंसे मुक्त हो जाता है। है राजन्! सत्युग में इंद्रसेन नामक राजा था। अपने सभी शत्रुओंको पराजित करके वह महिष्मतीपुरी राज्यपर राज करता था। अपने पुत्रपौत्र के समेंत वह आनंद के साथ रहता था। उसे भगवान् विष्णु के प्रति भक्ति थी, इसलिए वह नित्य मुक्तिदाता गोविंद का स्मरण करता था।

एक बार राजा अपने सिंहासनपर आनंद से विराजमान था। तभी आकाश मार्गसे देवर्षि नारद वहाँ पधारे। राजा उन्हे देखकर सिंहासन से उठकर उन्हे प्रणाम करके पूजा- अर्चना की। तभी देवर्षि नारदने राजाको पूछा, "हे राजन् ! आपके राज्य में सभी सुखी है ? आप धर्म का पालन करते हुए राज कर रहे है ना ? तथा भगवान् विष्णुके चरणकमलों मे आपकी भक्ति है। ना?"

तभी राजाने कहा, देवर्षि ! आपकी कृपासे सब ठीक है। । यज्ञों के फलहेतु ही आज आपके दर्शन हुए। कृपया आपके आने का उद्देश्य बताईये।"

राजा नम्र वचन सुनकर नारदमुनि ने कहा, "हे नृपश्रेष्ठ ! एक घटी हुई अदभुत घटना सुनो। ब्रह्मलोकसे मैं यमलोक गया था। वहाँ पर यमराज ने मेरा योग्य स्वागत किया। वहाँ पर मैंने आपके पुण्यवान पिताश्री को देखा। उन्होंने मेरे पास तुम्हारे लिए संदेश दिया है वह है, "हे देवर्षि ! मेरा पुत्र इंद्रसेन महिष्मतीपुरी का राजा है। उससे आप कहना कि अनजाने में किए गये पापकर्मों के कारण मैं यमलोक में हूँ मेरे उद्धार के लिए इंदिरा एकादशी का व्रत पालन करके उसका फल मुझे अर्पण करे।"नारदमुनि ने आगे कहा, "हे राजन् ! आपके पिताश्री को भगवद्धाम प्राप्ति होने के लिए आपको इंदिरा एकादशी का व्रत करने को कहा है।"

तभी राजाने पूछा, "हे देवर्षि ! कृपया इस व्रत की विधि आप कहे। "

नारदमुनीने कहा, "हे राजन् ! दशमी के दिन प्रातः काल उठकर स्नान के पश्चात पितरोंको तर्पण देना चाहिए। केवल एक बार ही भोजन और रात को चटाईपर सोना चाहिए । एकादशी के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करे। उसके बाद दिनभर प्रजल्प न करनेका व्रत धारण करके पूर्ण उपवास करना चाहिए। भगवान् अरविंद मै आपकी शरण में आया हूँ, ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए।

मध्यान्ह के समय शालग्राम के सामने पितरों को तर्पण अर्पण करके ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देकर संतुष्ट करना चाहिए। बचा हुआ अन्न गायको देना चाहिए । चंदन, फूल, धूप, दीप और भोग अर्पण करके भगवान् हृषिकेश की पूजा करें। भगवान् के नाम का गुणगान, लीलाओंका श्रवण, कथन, पढना, कीर्तन इत्यादि करके रातभर जागरण करना चाहिए। द्वादशी के दिन भगवान् श्रीहरी की पूजा करके ब्राह्मणों को भोजन अर्पण करना चाहिए। उसके बाद अपने बंधु, पुत्रपौत्र के साथ उपवास छोडना चाहिए। भोजन करते समय शांति होनी चाहिए। हे राजन! मेरे कहेनुसार अगर आप व्रतका पालन कर रहे है तो आपके पितरोंको जल्दी ही भगवद्धाम की प्राप्ति होगी।" इतना कहकर देवर्षि नारद अंतर्धान हो गए।

देवर्षि नारद के कहेनुसार राजाने व्रत का पालन किया। इस व्रत के प्रभावसे स्वर्गलोक से पुष्पवृष्टी हुई और राजा के पिताश्री गरुडपर बैठकर बैकुंठ गए। उसके बाद राजानें अनेक वर्ष आनंदपूर्वक राज्य किया। अपने पुत्र को राज सौंपकर राजा स्वयं भगवद्धाम को चले गए।

इंदिरा एकादशी को क्या क्या खाना चाहिए ? इंदिरा एकादशी को खाने के पदार्थ :-

1. सभी प्रकारके फल, मूंगफली, मूंगफली का तेल।

2. आलू, नारियल, शक्कर, गुड, दूधसे बनाई वस्तुएँ ।

इंदिरा एकादशी को क्या क्या नहीं खाना चाहिए ?

एकादशी को इस पदार्थों का खाना वर्जित है -

1. टमाटर, बैंगन, फूलगोभी,

2. हरी सब्जियाँ,

3. चावल, गेहूँ, ज्वार, दाल, मक्का इत्यादि,

4. बेकिंग सोडा, बेकिंग पावडर, कस्टर्ड,

5. दुकान के आलू वेफर्स, तली हुई मुँगफली इत्यादि,

6. शहद पूरी तरह से वर्जित

इंदिरा एकादशी को क्या क्या मसाले उपयोग में लाए जा सकते हैं ?

इंदिरा एकादशी को मसाले में अदरक, सैंधा नमक, काली मिर्च इत्यादि उपयोग में लाए जा सकते हैं।

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