मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष माह अगहन शुक्ल पक्ष - Mokshada Ekadashi
काशी पंचांग के अनुसार, मोक्षदा एकादशी की शुरुआत 10 दिसंबर 2024 , मंगल्रवार को रात्रि 1 बज कर 1 मिनट पर होगी और 11 दिसंबर 2024, बुधवार को रात्रि में 10 बज कर 39 मिनट पर समाप्त होगी। स्मार्त मोक्षदा एकादशी व्रत 11 दिसंबर 2024 को ही रखा जाएगा। वैष्णव मोक्षदा एकादशी भी 11 दिसंबर 2024 को हीं होगा।
मोक्षदा एकादशी गीता जयंती बैकुण्ठ एकादशी मार्गशीर्ष माह अगहन शुक्ल पक्ष - Mokshada Ekadashi
आलेख - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)
मोक्षदा एकादशी किसे कहते हैं ? मोक्षदा एकादशी क्यों मनाई जाती है?
मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष माह जिसे अगहन के नाम से भी जानते हैं, उसके शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि को मनाते हैं। इस दिन भगवान दामोदर की पूजा की जाती है। इसकी महिमा सुननेसे वाजपेय यज्ञका फल प्राप्त होता है ! यह एकादशी पापहरण करती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में अर्जुन को गीता के उपदेश दिया था।
मोक्षदा एकादशी का वर्णन ब्रह्मांड पुराण में मिलता है। पांडवों द्वारा भगवान श्रीकृष्ण से पूछने पर भगवान इसका महात्म्य युधिष्ठिर से कहते हैं -
युधिष्ठिर महाराजने पूछा, "हे देवदेवे वर ! मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्षमें आनेवाली एकादशी का क्या नाम है? उसे किसप्रकार करना चाहिए, किस देवताको पूजना चाहिए ? कृपया इस विषयपर विस्तार से कहें !"
भगवान श्रीकृष्णने कहा, "मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष में आनेवाली एकादशी मोक्षदा कहलाती है। इसकी महिमा सुननेसे वाजपेय यज्ञका फल प्राप्त होता है ! यह एकादशी पापहरण करती है। हे राजन् ! इस दिन तुलसी मंजरी और धूप-दीप के साथ भगवान दामोदर की पूजा करनी चाहिए! बड़े बड़े पातकों को नष्ट करनेवाली मोक्षदा एकादशी की रात्रि में मेरी प्रसन्नता के लिए नृत्य, कीर्तन तथा कथा करके जागरण करना बाहिए ! जिनके पूर्वज नरकमें है, वे इस एकादशीके पुण्य को पूर्वजोंको दान करनेसे उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है !"
मोक्षदा एकादशी कथा
पूर्वकाल की बात है, वैष्णवों से विभूषित परम रमणीय चम्पक नगर में वैखानस नामक राजा रहते थे। वे अपनी प्रजा का पुत्र की भाँति पालन करते थे। इस प्रकार राज्य करते हुए राजा ने एक दिन रात को स्वप्र में अपने पितरों को नीच योनि में पड़ा हुआ देखा। उन सबको इस अवस्था में देखकर राजा के मन में बड़ा विस्मय हुआ और प्रातःकाल ब्राह्मणों से उन्होंने उस स्वप्र का सारा हाल कह सुनाया।
राजा बोले- ब्राह्मणो ! मैंने अपने पितरों को नरक में गिरा देखा है। वे बारम्बार रोते हुए मुझसे यो कह रहे थे कि 'तुम हमारे तनुज हो, इसलिये इस नरक-समुद्र से हमलोगों का उद्धार करो।' द्विजवरो! इस रूप में मुझे पितरों के दर्शन हुए है। इससे मुझे चैन नहीं मिलता। क्या करूँ, कहाँ जाऊँ ? मेरा हृदय रुँधा जा रहा है। द्विजोत्तमो! वह व्रत, वह तप और वह योग, जिससे मेरे पूर्वज तत्काल नरक से छुटकारा पा जायँ, बताने की कृपा करें। मुझ बलवान् एवं साहसी पुत्र के जीते-जी मेरे माता-पिता घोर नरक में पड़े हुए हैं! अतः ऐसे पुत्र से क्या लाभ है।
ब्राह्मण बोले- राजन् ! यहाँ से निकट ही पर्वत मुनिका महान् आश्रम है। वे भूत और भविष्य के भी ज्ञाता है। नृपश्रेष्ठ ! आप उन्हीं के पास चले जाइये।
ब्राह्मणोंकी बात सुनकर महाराज वैखानस शीघ्र ही पर्वत मुनि के आश्रम पर गये और वहाँ उन मुनिश्रेष्ठ को देखकर उन्होंने दण्डवत्-प्रणाम करके मुनि के चरणोंका स्पर्श किया। मुनिने भी राजा से राज्य के सातों अंगों की कुशल पूछी (राज्य के सातों अंगों - राजा, मन्त्री, राष्ट्र, किल्ला, खजाना, सेना और मित्रवर्ग-ये ही परस्पर उपकार करनेवाले राज्यके सात अङ्ग है)।
राजा बोले - स्वामिन् । आपकी कृपा से मेरे राज्य के सातों अङ्ग सकुशल हैं। किन्तु मैंने स्वप्न में देखा है कि मेरे पितर नरक में पड़े हैं; अतः बताइये किस पुण्य के प्रभाव से उनका वहाँ से छुटकारा होगा ?
राजा की यह बात सुनकर मुनि श्रेष्ठ पर्वत एक मुहूर्त तक ध्यानस्थ रहे। इसके बाद वे राजा से बोले- 'महाराज। मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष में जो 'मोक्षा' नामकी एकादशी होती है, तुम सब लोग उसका व्रत करो और उसका पुण्य पितरों को दे डालो। उस पुण्य के प्रभाव से उनका नरक से उद्धार हो जायगा।'
भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं- युधिष्ठिर। मुनिकी यह बात सुनकर राजा पुनः अपने घर लौट आये। जब उत्तम मार्गशीर्ष मास आया, तब राजा वैखानस ने मुनि के कथनानुसार 'मोक्षा' एकादशी का व्रत करके उसका पुण्य समस्त पितरों सहित पिता को दे दिया। पुण्य देते ही क्षणभर में आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी। वैखानस के पिता, पितरों सहित नरक से छुटकारा पा गये और आकाश में आकर राजा के प्रति यह पवित्र वचन बोले- 'बेटा ! तुम्हारा कल्याण हो।' यह कहकर वे स्वर्गमें चले गये। राजन् ! जो इस प्रकार कल्याणमयी 'मोक्षा' एकादशी का व्रत करता है, उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और मरने के बाद वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। यह मोक्ष देनेवाली 'मोक्षा' एकादशी मनुष्यों के लिये चिन्तामणि के समान समस्त कामनाओं को पूर्ण करनेवाली है। इस माहात्य के पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
मोक्षदा एकादशी पूजन विधि (Mokshada Ekadashi 2024 pujan vidhi)
अन्य एकादशी की तरह इस व्रत का धार्मिक कर्म भी दशमी से शुरू हो जाता हैं। दशमी के दिन घर में पूजा-पाठ करें और दोपहर में नदी में तर्पण की विधि करें। ब्राह्मण भोज कराएं और उसके बाद स्वयं भी भोजन ग्रहण करें। याद रखें दशमी पर सूर्यास्त के बाद भोजन न करें। एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान करें। व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी को पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद परिवार के साथ मिलकर भोजन करें।
मोक्षदा एकादशी व्रत की शुरुआत
काशी पंचांग के अनुसार, मोक्षदा एकादशी की शुरुआत 10 दिसंबर 2024 , मंगल्रवार को रात्रि 1 बज कर 1 मिनट पर होगी और 11 दिसंबर 2024, बुधवार को रात्रि में 10 बज कर 39 मिनट पर समाप्त होगी। स्मार्त मोक्षदा एकादशी व्रत 11 दिसंबर 2024 को ही रखा जाएगा। वैष्णव मोक्षदा एकादशी भी 11 दिसंबर 2024 को हीं होगा।
मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण
मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण अगले दिन 12 दिसंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 8 बजकर 41 मिनट के बीच होगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय रात्रि 8 बजकर 21 मिनट है।
मोक्षदा एकादशी व्रत क्यों करते हैं? मोक्षदा एकादशी व्रत से लाभ -
मोक्षदा एकादशी के व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से वाजपेय यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थ स्नान आदि फल प्राप्त होते हैं। मोक्षदा एकादशी पर किए गए व्रत-उपवास से तन-मन निर्मल होता है। इस व्रत से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी व्रत में दशमी तिथि से प्रारंभ हो जाता है|
मोक्षदा एकादशी को क्या क्या खाना चाहिए ? मोक्षदा एकादशी को खाने के पदार्थ :-
1. सभी प्रकारके फल, मूंगफली, मूंगफली का तेल।
2. आलू, नारियल, शक्कर, गुड, दूधसे बनाई वस्तुएँ ।
मोक्षदा एकादशी को क्या क्या नहीं खाना चाहिए ?
एकादशी को इस पदार्थों का खाना वर्जित है -
1. टमाटर, बैंगन, फूलगोभी,
2. हरी सब्जियाँ,
3. चावल, गेहूँ, ज्वार, दाल, मक्का इत्यादि,
4. बेकिंग सोडा, बेकिंग पावडर, कस्टर्ड,
5. दुकान के आलू वेफर्स, तली हुई मुँगफली इत्यादि,
6. शहद पूरी तरह से वर्जित
मोक्षदा एकादशी को क्या क्या मसाले उपयोग में लाए जा सकते हैं ?
मोक्षदा एकादशी को मसाले में अदरक, सैंधा नमक, काली मिर्च इत्यादि उपयोग में लाए जा सकते हैं।