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युगलाष्टकम् हिंदी अर्थ के साथ

Yugalashtakam with Hindi meaning

विष्णु का ध्यान - पंचदेव पूजन विधि * विष्णुस्मरण * श्री विष्णु सहस्र नाम स्तोत्रम् * कृष्ण जन्माष्टमी * श्री राधाष्टमी * श्री राधाष्टकम * मधुराष्टकम् * युगलाष्टकम् * गोपाल सहस्त्रनाम पाठ * एकादशी * सम्पूर्ण एकादशी व्रत सूची * भगवान विष्णु के 108 नाम * ओम जय जगदीश हरे आरती * तुलसी विवाह व्रत * भीष्मपञ्चक व्रत * क्या एकादशी को तुलसी में जल देना चाहिए? * विष्णु के पूजन में चढ़ने वाले और न चढ़ने वाले पत्र-पुष्प * श्री विष्णु शत नामावलि (विष्णु पुराण) * विष्णुरूपा गायत्री का ध्यान * अनंत चतुर्दशी * दशावतार व्रत * सप्तश्लोकी गीता हिंदी अर्थ सहित * महाद्वादशी व्रत * हरि वासर और दूजी एकादशी क्या होता है? * विष्णु पुराण * पद्म पुराण * पापमोचिनी एकादशी * कामदा एकादशी * वरुथिनी एकादशी * मोहिनी एकादशी * अपरा एकादशी * निर्जला एकादशी * योगिनी एकादशी * देवशयनी एकादशी * कामिका एकादशी * पुत्रदा पवित्रा एकादशी * अजा अन्नदा एकादशी * इंदिरा एकादशी * पापांकुशा एकादशी * रमा एकादशी * देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी * उत्पन्ना एकादशी * मोक्षदा एकादशी * सफला एकादशी * पुत्रदा एकादशी * षटतिला एकादशी * जया एकादशी * विजया एकादशी * आमलकी एकादशी * परम एकादशी * पद्मिनी कमला एकादशी * त्रिस्पृशा एकादशी
 
श्रीराधाष्टमी Sri Radha Ashtami भाद्रपद शुक्ला अष्टमी  भगवती श्रीराधा का जन्म

॥ श्रीहरिः ॥

युगलाष्टकम् हिंदी भावार्थ के साथ

कृष्णप्रेममयी जीवने निधने राधा राधाप्रेममयो हरिः ।
जीवने निधने नित्यं राधाकृष्णौ गतिर्मम ॥ १ ॥

राधाजी कृष्ण-प्रेममयी हैं और श्रीकृष्ण राधा-प्रेममय हैं। ऐसे वे राधा और कृष्ण मेरे जीवन में तथा जीवन के बाद भी सदा-सर्वदा मेरा आश्रय हैं ॥ १ ॥

कृष्णस्य द्रविणं राधा राधाया द्रविणं हरिः ।
जीवने निधने नित्यं राधाकृष्णौ गतिर्मम ॥ २ ॥

श्रीकृष्ण का सर्वस्व श्रीराधा हैं और श्रीराधा का सर्वस्व श्रीकृष्ण हैं। ऐसे वे राधा और कृष्ण मेरे जीवन में तथा जीवन के बाद भी सदा-सर्वदा मेरा आश्रय हैं ॥ २ ॥

कृष्णप्राणमयी राधा राधाप्राणमयो हरिः ।
जीवने निधने नित्यं राधाकृष्णौ गतिर्मम ॥ ३ ॥

श्रीकृष्ण की प्राणरूपा श्रीराधा हैं और श्रीराधा के प्राणस्वरूप श्रीकृष्ण हैं। ऐसे वे राधा और कृष्ण मेरे जीवन में तथा जीवन के बाद भी सदा-सर्वदा मेरा आश्रय हैं ॥ ३॥

कृष्णद्रवमयी राधा राधाद्रवमयो हरिः ।
जीवने निधने नित्यं राधाकृष्णौ गतिर्मम ॥ ४ ॥

श्रीकृष्ण के प्रेमरस से आप्लावित श्रीराधा हैं और श्रीराधा के प्रेमरस से आप्लावित श्रीकृष्ण हैं। ऐसे वे राधा और कृष्ण मेरे जीवन में तथा जीवन के बाद भी सदा-सर्वदा मेरा आश्रय हैं ॥ ४॥

कृष्णगेहे स्थिता राधा राधागेहे स्थितो हरिः ।
जीवने निधने नित्यं राधाकृष्णौ गतिर्मम ॥ ५ ॥

श्रीकृष्ण के हृदयरूप मन्दिर में श्रीराधा स्थित हैं और श्रीराधा के हृदयरूप मन्दिर में श्रीकृष्ण विराजमान हैं। ऐसे वे राधा और कृष्ण मेरे जीवन में तथा जीवन के बाद भी सदा-सर्वदा मेरा आश्रय हैं ॥ ५ ॥

कृष्णचित्तस्थिता राधा राधाचित्तस्थितो हरिः ।
जीवने निधने नित्यं राधाकृष्णौ गतिर्मम ॥ ६ ॥

श्रीकृष्णके चित्त में श्रीराधा शोभायमान हैं और श्रीराधा के चित्त में श्रीकृष्ण विराज रहे हैं। ऐसे वे राधा और कृष्ण मेरे जीवन में तथा जीवन के बाद भी सदा-सर्वदा मेरा आश्रय हैं ॥ ६ ॥

नीलाम्बरधरा राधा पीताम्बरधरो हरिः ।
जीवने निधने नित्यं राधाकृष्णौ गतिर्मम ॥ ७ ॥

श्रीराधाने नीलाम्बर धारण कर रखा है और श्रीकृष्ण पीताम्बर से शोभा पा रहे हैं। ऐसे वे राधा और कृष्ण मेरे जीवन में तथा जीवन के बाद भी सदा-सर्वदा मेरा आश्रय हैं ॥ ७ ॥

वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः ।
निधने जीवने नित्यं राधाकृष्णौ गतिर्मम ॥ ८ ॥

श्रीराधा वृन्दावनकी अधीश्वरी हैं और श्रीकृष्ण वृन्दावन के अधीश्वर हैं। ऐसे वे राधा और कृष्ण मेरे जीवन में तथा जीवन के बाद भी सदा-सर्वदा मेरा आश्रय हैं ॥ ८ ॥

॥ इति श्रीमज्जीवगोस्वामिविरचितं युगलाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

 

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