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श्रीविष्णु का ध्यान - पंचदेव पूजन विधि

विष्णु का ध्यान - पंचदेव पूजन विधि * विष्णुस्मरण * श्री विष्णु सहस्र नाम स्तोत्रम् * कृष्ण जन्माष्टमी * श्री राधाष्टमी * श्री राधाष्टकम * मधुराष्टकम् * युगलाष्टकम् * गोपाल सहस्त्रनाम पाठ * एकादशी * सम्पूर्ण एकादशी व्रत सूची * भगवान विष्णु के 108 नाम * ओम जय जगदीश हरे आरती * तुलसी विवाह व्रत * भीष्मपञ्चक व्रत * क्या एकादशी को तुलसी में जल देना चाहिए? * विष्णु के पूजन में चढ़ने वाले और न चढ़ने वाले पत्र-पुष्प * श्री विष्णु शत नामावलि (विष्णु पुराण) * विष्णुरूपा गायत्री का ध्यान * अनंत चतुर्दशी * दशावतार व्रत * सप्तश्लोकी गीता हिंदी अर्थ सहित * महाद्वादशी व्रत * हरि वासर और दूजी एकादशी क्या होता है? * विष्णु पुराण * पद्म पुराण * पापमोचिनी एकादशी * कामदा एकादशी * वरुथिनी एकादशी * मोहिनी एकादशी * अपरा एकादशी * निर्जला एकादशी * योगिनी एकादशी * देवशयनी एकादशी * कामिका एकादशी * पुत्रदा पवित्रा एकादशी * अजा अन्नदा एकादशी * इंदिरा एकादशी * पापांकुशा एकादशी * रमा एकादशी * देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी * उत्पन्ना एकादशी * मोक्षदा एकादशी * सफला एकादशी * पुत्रदा एकादशी * षटतिला एकादशी * जया एकादशी * विजया एकादशी * आमलकी एकादशी * परम एकादशी * पद्मिनी कमला एकादशी * त्रिस्पृशा एकादशी
 
श्रीविष्णु का ध्यान - पंचदेव पूजन विधि

श्रीविष्णु का ध्यान

आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

॥ श्रीहरिः ॥

निम्नलिखित श्लोक का प्रातःकाल पाठ करनेसे बहुत कल्याण होता है, जैसे —
1-दिन अच्छा बीतता है, 2-दुःस्वप्न, कलिदोष, शत्रु, पाप और भवके भयका नाश होता है, 3-विषका भय नहीं होता, 4- धर्मकी वृद्धि होती है, अज्ञानीको ज्ञान प्राप्त होता है, 5- रोग नहीं होता, 6- पूरी आयु मिलती है, 7- विजय प्राप्त होती है, 8-निर्धन धनी होता है, 9- भूख-प्यास और कामकी बाधा नहीं होती तथा 10 - सभी बाधाओंसे छुटकारा मिलता है इत्यादि।
निष्कामकर्मियोंको भी केवल भगवत्प्रीत्यर्थ इन श्लोकोंका पाठ करना चाहिये-

भगवान विष्णु का ध्यान मंत्र है -

उद्यत्कोटिदिवाकराभमनिशं शङ्खं गदां पङ्कजं
चक्रं बिभ्रतमिन्दिरावसुमतीसंशोभिपार्श्वद्वयम् ।
कोटीराङ्गदहारकुण्डलधरं पीताम्बरं कौस्तुभै-
र्दीप्तं विश्वधरं स्ववक्षसि लसच्छ्रीवत्सचिनं भजे ॥
ॐ विष्णवे नमः ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ।

उदीयमान करोड़ों सूर्यके समान प्रभातुल्य, अपने चारों हाथोंमें शंख, गदा, पद्म तथा चक्र धारण किये हुए एवं दोनों भागोंमें भगवती लक्ष्मी और पृथ्वीदेवीसे सुशोभित, किरीट, मुकुट, केयूर, हार और कुण्डलोंसे समलंकृत, कौस्तुभमणि तथा पीताम्बरसे देदीप्यमान विग्रहयुक्त एवं वक्षःस्थलपर श्रीवत्सचिह्न धारण किये हुए भगवान् विष्णुका मैं निरन्तर स्मरण- ध्यान करता हूँ ।

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