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योगिनी एकादशी आषाढ माह कृष्ण पक्ष - Yogini Ekadashi

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योगिनी एकादशी आषाढ माह कृष्ण

योगिनी एकादशी आषाढ माह कृष्ण पक्ष - Yogini Ekadashi

2 जुलाई, 2024, मंगलवार को आषाढ योगिनी एकादशी है। योगिनी एकादशी व्रत के पुण्य से कुष्ठ आदि रोगों का नाश होता है।


आलेख - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

योगिनी एकादशी व्रत की शुरुआत

2 जुलाई, 2024, मंगलवार को आषाढ योगिनी एकादशी है। एकादशी 1 जुलाई, को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 2 जुलाई को सुबह 8 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा। उदया तिथि से 2 जुलाई, 2024, मंगलवार को आषाढ योगिनी एकादशी है।

योगिनी एकादशी व्रत का पारण

योगिनी एकादशी व्रत (स्मार्त ) का पारण अगले दिन 3 जुलाई, 2024, बुधवार को सुबह 5 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 10 मिनट के बीच होगा।

योगिनी एकादशी किसे कहते हैं ? योगिनी एकादशी क्यों मनाई जाती है?

आषाढ मास के कृष्ण पक्ष में आनेवाली योगिनी एकादशी का महात्म्य ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान् श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर महाराज के संवाद में वर्णित है।

एक बार युधिष्ठिर महाराज ने भगवान् श्रीकृष्ण को पूछा, "हे भगवान ! आषाढ मास के कृष्ण पक्ष में आनेवाली एकादशी का संबोधन क्या है ?"

भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा, "हे राजन् ! इसको योगिनी एकादशी कहते है। इसके पालन से व्यक्ति गंभीर पापकर्म और भवसागर से मुक्ति पाता है।"

योगिनी एकादशी कथा

"हे नृपश्रेष्ठ ! अब मैं एक सुंदर कथा कहता हूँ। अलकापुरी के राजा महाराज कुबेर शिवजी के अनन्य भक्त थे। हेम नामका यक्ष उनका माली था। उसकी पत्नी विशालाक्षी बहुत सुंदर थी और यक्ष हेम विशालाक्षी पर बहुत आसक्त था। मानस सरोवर से सुंदर फूल इकठ्ठा करके वह फुल हेम कुबेर को देता था। कुबेर उन सुंदर फूलों का उपयोग शिवजी के उपासना हेतु करते थे। एक दिन हेम ने सुंदर फूल इकठ्ठा किये, पर वह कुबेर को न देकर ही पत्नी के प्रेम के कारण घर में रखके उसके साथ ही रहा।"

फूलों के अभाव के कारण की पूजा संपन्न न हो सकी। छह घंटे प्रतीक्षा के पश्चात कुबेर को अत्यंत क्रोध आया और उन्होंने अपने एक सैनिक को माली के पास भेजा। हेम माली के पास से लौटते ही कुबेर को उस सैनिक ने कहा, हेम माली घर में अपने पत्नी का संग कर रहा है। ये सुनने के पश्चात कुबेर ने हेम माली को अपने पास लाने का आदेश दिया। अपनी भूल को जानकर हेम ने कुबेर के सामने आते ही साष्टांग प्रणाम करके हाथ जोड़ कर खड़ा रहा। क्रोधित कुबेर ने उसे कहा, "हे मूर्ख। आध्यात्मिक (धार्मिक) तत्त्वों का खंडन करनेवाले महापापी व्यक्ति ! अपनी पत्नी के आसक्ति के कारण आज तुमने मेरे प्रिय आराध्य महादेवजी का अपराध किया है। ये केवल तुम्हारे इंद्रियभोग के कारण हुआ। इसलिए तुम्हें कोढ़ हो यह मैं शाप देता हूँ, जिससे इसके आगे तुम अपनी पत्नी से हमेशा दूर रहोगे। मूर्ख ! फौरन इस जगह से निकल जाओ।"

कुबेर के इस श्राप से हेम माली का अलकापुरी से पतन होकर इस मृत्यु लोक में जन्म हुआ। थोड़े काल बाद उसे कोढ़ हुआ। उस दुख से वह परेशान था। भूख, प्यास और परेशानी से व्याकुल होकर वह वन में गया और बहुत रात-दिन उसने इसी तरह गुजारे। दिनभर उसे सुख नही मिलता तो रात को उसे निद्रा नही आती। इसी तरह उसने अनेक सर्दी-गर्मी के वर्ष निकाले। पिछले जन्म में शिवजी की उपासना में सहायता करने के कारण उसे अपने पिछले जन्म का स्मरण था और अनेक पापकार्यों में मग्न होते हुए भी उसकी चेतना शुद्ध और सावधान थी ।

भ्रमण करते - करते एक दिन वह मेरु पर्वत पर पहुँचा। वहाँ पर उसने महान तपस्वी मार्कण्डेयजी को देखा, जिनकी आयु 7 कल्प (ब्रह्माके दिन) है। उन्हे देखकर दूर से ही उसने अनेक बार साष्टांग प्रणाम किया। तो दयावान, करुणावान मार्कण्डेय ऋषिने उसे अपने समीप बुलाकार पुछा, "तुमने ऐसा कौन सा महापाप किया है जिससे तुम्हे यह रोग हुआ है ?"

ये सुनने के पश्चात हेम माली ने सभी वृत्तांत उन्हे कहा और पूछने लगा, "हे ऋषिवर ! गत जन्मों के कुछ पुण्य के उदय से आपके दर्शन मुझे हुए है। कृपा करके पापमुक्त होने के लिए कोई उपाय बताएँ ।"

तभी मार्कण्डेय ऋषिने कहा, "हे माली ! आषाढ मास की कृष्ण पक्ष में जो
योगिनी एकादशी आती है, उस व्रत का पालन तुम करो ! ऐसा करनेसे उस व्रत के प्रभाव से तुम सभी पापों से मुक्त हो जाओगे।" यह सुनकर हेम माली ने उस व्रत का कठोरता से पालन किया और कोढ़ मुक्त होकर अलकापुरी को लौट गया और अपनी पत्नी के साथ आनंद में रहने लगा।

88 हजार ब्राह्मणोंको भोजनदान कराने का फल केवल इस एकादशी के व्रत के पालन से मिलता है। सभी पापोंसे मुक्त होकर व्यक्ति पुण्यवान बन जाता है ।

योगिनी एकादशी पूजन विधि (Yogini Ekadashi pujan vidhi)

अन्य एकादशी की तरह इस व्रत का धार्मिक कर्म भी दशमी से शुरू हो जाता हैं। दशमी के दिन घर में पूजा-पाठ करें और दोपहर में नदी में तर्पण की विधि करें। ब्राह्मण भोज कराएं और उसके बाद स्वयं भी भोजन ग्रहण करें। याद रखें दशमी पर सूर्यास्त के बाद भोजन न करें। एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान करें। व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी को पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद परिवार के साथ मिलकर भोजन करें।

योगिनी एकादशी व्रत क्यों करते हैं? योगिनी एकादशी व्रत से लाभ -

योगिनी एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को अनंत धन और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। हिंदू किंवदंतियों के अनुसार उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा और पुनर्जन्म के निरंतर चक्र से मुक्ति मिलेगी। भक्तों को उनके वर्तमान या पिछले जीवन में जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाएगी।

योगिनी एकादशी को क्या क्या खाना चाहिए ? योगिनी एकादशी को खाने के पदार्थ :-

1. सभी प्रकारके फल, मूंगफली, मूंगफली का तेल।

2. आलू, नारियल, शक्कर, गुड, दूधसे बनाई वस्तुएँ ।

योगिनी एकादशी को क्या क्या नहीं खाना चाहिए ?

एकादशी को इस पदार्थों का खाना वर्जित है -

1. टमाटर, बैंगन, फूलगोभी,

2. हरी सब्जियाँ,

3. चावल, गेहूँ, ज्वार, दाल, मक्का इत्यादि,

4. बेकिंग सोडा, बेकिंग पावडर, कस्टर्ड,

5. दुकान के आलू वेफर्स, तली हुई मुँगफली इत्यादि,

6. शहद पूरी तरह से वर्जित

योगिनी एकादशी को क्या क्या मसाले उपयोग में लाए जा सकते हैं ?

योगिनी एकादशी को मसाले में अदरक, सैंधा नमक, काली मिर्च इत्यादि उपयोग में लाए जा सकते हैं।

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