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कामिका एकादशी सावन माह कृष्ण पक्ष - Kamika Ekadashi

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कामिका एकादशी सावन माह कृष्ण

कामिका एकादशी सावन माह कृष्ण पक्ष - Kamika Ekadashi

31 जुलाई, 2024, बुधवार को सावन कामिका एकादशी है।


आलेख - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

कामिका एकादशी व्रत की शुरुआत

31 जुलाई, 2024, बुधवार को सावन कामिका एकादशी है। एकादशी 30 जुलाई, को शाम 4 बजकर 44 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 31 जुलाई को शाम 3 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगा। उदया तिथि से 31 जुलाई, 2024, बुधवार को सावन कामिका एकादशी है।

कामिका एकादशी व्रत का पारण

कामिका एकादशी व्रत (स्मार्त ) का पारण अगले दिन 1 अगस्त , 2024, बृहस्पतिवार को सुबह 5 बजकर 43 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 24 मिनट के बीच होगा।

कामिका एकादशी किसे कहते हैं ? कामिका एकादशी क्यों मनाई जाती है?

सावन मास के कृष्ण पक्ष में आनेवाली कामिका एकादशी का महात्म्य ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान् श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर महाराज के संवाद में वर्णित है। कामिका एकादसी के दिन तुलसी जी का पौधा लगाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन तुलसी माता के पास घी का दीपक जलाना चाहिए।

युधिष्ठिर महाराज ने कहा, "हे भगवान् ! आपसे मैने देवशयनी एकादशी के बारे में सुना। कृपया आप श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में आनेवाली एकादशी का वर्णन करे।"

भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा, "हे राजन! ध्यान से सुनिए ! बहुत पहले नारदजी ने यही प्रश्न ब्रह्माजी को पूछा था। इस तिथि को किसकी और कैसी उपासना करनी चाहिए इस बारे में भी पूछा था।"

जगद्गुरु ब्रह्माजीने तभी कहा, "इस एकादशी को 'कामिका' कहा जाता है। इसके महात्म्य को श्रवण करने से 'वाजपेय' यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। इस तिथि को शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण करनेवाले भगवान् विष्णुकी पूजा करनी चाहिये। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से पवित्र तीर्थस्नान जैसे की गंगा, काशी, नैमिशारण्य, पुष्कर जैसे पवित्र स्थानों पर स्नान करनेका पुण्य प्राप्त होता है। सूर्यग्रहण के समय केदारनाथ अथवा कुरुक्षेत्र में स्नान करनेवाले पुण्य से हजारों गुना अधिक पुण्य केवल कामिका एकादशी को विष्णुकी पूजा करने से मिलता है।"

जिस प्रकार कमल को पानी स्पर्श नही कर सकता, उसी प्रकार कामिका एकादशी करनेवाले को पाप स्पर्श नही कर सकता। जो कोई भी तुलसीपत्र से भगवान् हरिकी उपासना करता है, वह सभी पापों से मुक्त होता है। तुलसी के केवल दर्शन मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते है। तुलसीदेवी को स्पर्श करनेसे हम पावन बन जाते है। उसकी प्रार्थना करने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है और उसे स्नान कराने से यमराजका मुख देखना असंभव है तथा उनका डर नही रहता।

तुलसी रोपन करने से भगवान श्रीकृष्ण के साथ रहने का भाग्य प्राप्त होता है और उनके चरणकमलों पर तुलसी अर्पण करनेसे भक्ति प्राप्त होती है। एकादशी के दिन तुलसी महारानी को घी का दीपक और प्रणाम अर्पण करनेसे उससे प्राप्त होनेवाले पुण्य का हिसाब करने के लिए चित्रगुप्त भी असमर्थ है। कामिका एकादशी का व्रत करनेसे भ्रूणहत्या तथा ब्रह्महत्या जैसे महापातक से भी मुक्ति मिलती है । इस महात्म्य का श्रद्धा से जो भी श्रवण अथवा कथन करेगा उसे वैकुंठ प्राप्ति होती है ।

कामिका एकादशी कथा

एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई। अपने हाथों मरे गये ब्राह्मण की क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है। पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।

इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।

इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं। इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं।

कामिका एकादशी पूजन विधि (Kamika Ekadashi pujan vidhi)

अन्य एकादशी की तरह इस व्रत का धार्मिक कर्म भी दशमी से शुरू हो जाता हैं। दशमी के दिन घर में पूजा-पाठ करें और दोपहर में नदी में तर्पण की विधि करें। ब्राह्मण भोज कराएं और उसके बाद स्वयं भी भोजन ग्रहण करें। याद रखें दशमी पर सूर्यास्त के बाद भोजन न करें। एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान करें। व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी को पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद परिवार के साथ मिलकर भोजन करें।

कामिका एकादशी व्रत क्यों करते हैं? कामिका एकादशी व्रत से लाभ -

कामिका एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को अनंत धन और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। हिंदू किंवदंतियों के अनुसार उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा और पुनर्जन्म के निरंतर चक्र से मुक्ति मिलेगी। भक्तों को उनके वर्तमान या पिछले जीवन में जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाएगी।

कामिका एकादशी को क्या क्या खाना चाहिए ? कामिका एकादशी को खाने के पदार्थ :-

1. सभी प्रकारके फल, मूंगफली, मूंगफली का तेल।

2. आलू, नारियल, शक्कर, गुड, दूधसे बनाई वस्तुएँ ।

कामिका एकादशी को क्या क्या नहीं खाना चाहिए ?

एकादशी को इस पदार्थों का खाना वर्जित है -

1. टमाटर, बैंगन, फूलगोभी,

2. हरी सब्जियाँ,

3. चावल, गेहूँ, ज्वार, दाल, मक्का इत्यादि,

4. बेकिंग सोडा, बेकिंग पावडर, कस्टर्ड,

5. दुकान के आलू वेफर्स, तली हुई मुँगफली इत्यादि,

6. शहद पूरी तरह से वर्जित

कामिका एकादशी को क्या क्या मसाले उपयोग में लाए जा सकते हैं ?

कामिका एकादशी को मसाले में अदरक, सैंधा नमक, काली मिर्च इत्यादि उपयोग में लाए जा सकते हैं।

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